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अब यहां महकेगा डोमेस्क गुलाब, छह लाख रुपये तक बिकता है तेल

मनरेगा के तहत डोमेस्क गुलाब की खेती की योजना शुरू की गई है। कई जगह डोमेस्क गुलाब लगाए गए हैं। जबकि अन्य जगह के लिए भी प्रस्ताव गए हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 04:21 PM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 08:49 AM (IST)
अब यहां महकेगा डोमेस्क गुलाब, छह लाख रुपये तक बिकता है तेल
अब यहां महकेगा डोमेस्क गुलाब, छह लाख रुपये तक बिकता है तेल

नई टिहरी, [जेएनएन]: उत्तराखंड के टिहरी जिले में डोमेस्क रोज (गुलाब) की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इस गुलाब की वैराइटी आम गुलाब से अलग है। यह विदेशी प्रजाति का गुलाब है, जो सीरिया में पाया जाता है। इसका उत्पादन करके गुलाब जल के साथ ही अन्य औषधि भी तैयार की जाएंगी। वहीं, इसका तेल छ लाख रुपये तक बिकता है। 

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मनरेगा के तहत डोमेस्क गुलाब की खेती की योजना शुरू की गई है। कई जगह डोमेस्क गुलाब लगाए गए हैं, जबकि अन्य जगह के लिए भी प्रस्ताव गए हैं। इससे किसानों को लाभ मिलेगा। उद्यान विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक चला, तो जिले के कई क्षेत्रों में गुलाब की महकेगी। 

सीरिया में उत्पादित डोमेस्क गुलाब की खेती पहाड़ के अनुकूल है, इसलिए इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे जहां तेल निकाला जाता है, वहीं इसका गुलाब जल भी बनाया जाता है, जो आंखों के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह प्रजाति सीरिया देश में पाई जाती है। इसका गुलाब जल बाजार में 200 रुपये किलो बिकता है, जबकि इसके तेल की कीमत लाखों में है। किसानों की आर्थिकी की दृष्टि से भी डोमेस्क गुलाब की खेती काफी महत्वपूर्ण है। कई जगह इसकी खेती शुरू भी हो चुकी है। 

जौनपुर के रौतू की बैली में करीब पांच हजार पौध लगाई जा चुकी हैं, जबकि हिंडोलाखाल के गोरसिल गांव में भी गुलाब का रोपण किया जा चुका। इसके अलावा जौनपुर के स्यालसी गांव में भी किसानों को डोमेस्क रोज उपलब्ध कराया जाएगा। मनरेगा के तहत होने वाली इस खेती के लिए उद्यान विभाग भी तकनीकी परामर्श दे रहा है।

जिले के अन्य जगह पर भी शीघ्र इसकी खेती शुरू की जाएगी। अभी तक उन जगह पर यह गुलाब उपलब्ध कराया गया है, जहां पर जलवायु व मिट्टी इसके अनुकूल है। विभाग की ओर से इसके उत्पादन का किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। खास बात यह है कि इसकी खेती को जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचा सकते। अभी तक जिले में गिनी-चुनी जगह पर ही फूलों की खेती की जाती थी, लेकिन अब कई जगह पर गुलाब की खेती लहलहाएगी।

विशेषताएं 

इसका गुलाब जल बनाया जाता है, जिसकी कीमत 200 रुपये है।

इसका तेल 6 लाख रुपये तक बिकता है।

आम गुलाब से इसकी वैराइटी अलग है।

जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचा सकते।

जिला उद्यान अधिकारी डीके तिवारी ने बताया कि मनरेगा के तहत डोमेस्क रोज की खेती की जा रही है। जिले में कुछ जगहों पर किसानों ने खेती भी शुरू कर दी है। आर्थिक दृष्टि से भी इसकी खेती लाभकारी है।

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