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विश्व कल्याण के निमित्त केदारपुरी में हुई भैरवनाथ की पूजा

आषाढ़ संक्रांति पर रविवार को केदारनाथ मंदिर परिसर में विश्व कल्याण के निमित्त भगवान भैरवनाथ की पूजा व यज्ञ हुआ।

By Edited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 10:15 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 03:45 PM (IST)
विश्व कल्याण के निमित्त केदारपुरी में हुई भैरवनाथ की पूजा
विश्व कल्याण के निमित्त केदारपुरी में हुई भैरवनाथ की पूजा

रुद्रप्रयाग, जेएनएन। आषाढ़ संक्रांति पर रविवार को केदारनाथ मंदिर परिसर में विश्व कल्याण के निमित्त भगवान भैरवनाथ की पूजा व यज्ञ हुआ। इस मौके पर चारधाम देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारियों और तीर्थ पुरोहितों ने यज्ञ में आहुतियां डालकर देश-दुनिया को कोरोना संक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना की। उधर, रविवार को 33 लोगों ने केदारनाथ पहुंचकर बाबा के दर्शन किए।

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भगवान भैरवनाथ को केदारपुरी का रक्षक (क्षेत्रपाल) माना गया है। इसलिए हर साल आषाढ़ संक्रांति पर केदारनाथ मंदिर से 500 मीटर दूर पहाड़ी पर स्थित भैरवनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना होती है। रविवार को भी सुबह आठ बजे से भगवान भैरवनाथ का अभिषेक एवं पूजा-अर्चना हुई। इसके बाद केदारनाथ मंदिर परिसर में हवन हुआ, जिसमें देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारियों के साथ तीर्थ पुरोहितों ने भाग लिया। उन्होंने केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग के साथ यज्ञ में जौ-तिल व घी की आहुतियां डालीं।

इस मौके पर केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, देवस्थानम बोर्ड के युद्धवीर पुष्पवाण, किशन बगवाड़ी, राजकुमार तिवारी, तेज प्रकाश, अंकित सेमवाल आदि मौजूद रहे। उधर, 33 श्रद्धालुओं ने मंदिर के बाहर से ही बाबा केदार के दर्शन किए। हालांकि, मंदिर में प्रवेश की अनुमति न होने से वो मायूस नजर आए। उनका कहना था कि चारधाम यात्र शुरू कर भले ही सरकार ने उम्मीद की किरण जगाई हो, लेकिन गर्भगृह में दर्शन न कर पाने से वो निराश हैं। शनिवार को भी सात स्थानीय श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए थे।

देश के अंतिम गांव माणा में सादगी के साथ खोले गए घंटाकर्ण मंदिर के कपाट

भारत-चीन सीमा पर बदरीनाथ धाम से तीन किमी आगे देश के अंतिम गांव माणा में रविवार को सादगी के साथ घंटाकर्ण मंदिर के कपाट खोल दिए गए। कोरोना संक्रमण के चलते इस मौके पर सिर्फ 20 लोग मौजूद रहे। इससे पहले घंटाकर्ण महाराज अपना अज्ञातवास खत्म कर माणा पहुंचे। इसके बाद उनकी मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया गया। माणा गांव के लोग शीतकाल के दौरान जिला मुख्यालय गोपेश्वर समेत आसपास के गांवों में प्रवास पर आ जाते हैं। 

बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने पर वह वापस माणा लौटते हैं। परंपरा के अनुसार शीतकाल शुरू होने पर घंटाकर्ण महाराज भी गांव छोड़कर एकांतवास में चले जाते हैं। इस अवधि को वह गांव की सीमा से लगे जंगल में स्थित एक गुफा में गुजारते हैं। जिसकी जानकारी सिर्फ उनके पश्वा (अवतारी पुरुष) को होती है। बीते वर्ष 15 नवंबर को माणा में आयोजित धार्मिक समारोह के बाद पश्वा ने घंटाकर्ण महाराज की मूर्ति को शीतकाल के लिए गुफा में विराजमान किया था। 

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रविवार सुबह माणा गांव के घंटाकर्ण मंदिर में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में पूजा-अर्चना के बाद अवतारी पुरुष गांव से अकेले गुफा में पहुंचे और वहां से घंटाकर्ण महाराज की मूर्ति को गांव लाकर मंदिर में विराजमान किया। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते बेहद सादगी से मनाया गया। माणा निवासी पीतांबर मोलफा ने बताया कि बीते वर्षो की अपेक्षा इस वर्ष मूर्ति की चमक ज्यादा है। इसे शुभ संकेत माना जा रहा है। इस अवसर पर मान सिंह मोलफा, चंद्रप्रकाश परमार, सेवा सिंह बड़वाल, पूरन सिंह परमार, मुकेश जीतवान आदि मौजूद रहे।

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