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Water Conservation: यहां की महिलाओं ने जलस्रोत किए पुनर्जीवित, पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ; जानिए

Water Conservation उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की जखोली ब्लॉक के ग्राम पंचायत लुठियाग में महिलाओं ने सामूहिक प्रयास कर जल संरक्षण की दिशा में अनोखी पहल की है। चाल-खाल (छोटी झील) बनाकर वर्षा जल संरक्षण किया। इससे सूख चुके प्राकृतिक जलस्रोत को पुनर्जीवित करने में मदद मिली।

By Edited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 11:02 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 10:53 AM (IST)
Water Conservation: यहां की महिलाओं ने जलस्रोत किए पुनर्जीवित, पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ; जानिए
Water Conservation: यहां की महिलाओं ने जल स्त्रोत किए पुनर्जीवित।

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग। Water Conservation उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की जखोली ब्लॉक के ग्राम पंचायत लुठियाग में महिलाओं ने सामूहिक प्रयास कर जल संरक्षण की दिशा में अनोखी पहल की है। चाल-खाल (छोटी झील) बनाकर वर्षा जल संरक्षण किया। इससे सूख चुके प्राकृतिक जलस्रोत को पुनर्जीवित करने में मदद मिली और गांव में पीने के पानी की किल्लत को दूर किया गया। साथ ही सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध हुआ। गांव में महिलाओं द्वारा किए गए जल प्रबंधन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहना की थी। 204 परिवारों वाले इस गांव में अब वर्षभर पर्याप्त जलापूर्ति हो रही है। साथ ही यहां के काश्तकार वर्ष में दो से तीन फसलों का उत्पादन भी कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिकी को भी नया आयाम मिल रहा है।

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रुद्रप्रयाग जिले में समुद्रतल से 2170 मीटर ऊंचाई पर स्थित चिरबटिया-लुठियागगांव उच्च हिमालय में बसा हुआ है। वर्ष 1991 में भूकंप से गांव का मुख्य पेयजल स्रोत ध्वस्त हो गया था, जिसके बाद गांव में सिर्फ एक ही स्त्रोत था। इसमें केवल बरसात के सीजन में ही पानी आता था, जबकि अन्य महीनों यहां सूखा रहता था। ग्रामीणों को रोजाना पीने के पानी के लिए तीन किमी दूर जाना पड़ता था। 2014 में राज राजेश्वरी ग्राम कृषक समिति का गठन कर गांव के हर घर को जलापूर्ति का संकल्प लिया। 

रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से पांच जून 2014 को विश्व पर्यावरण दिवस पर 104 परिवारों की महिलाओं के साथ ग्रामीणों ने पेयजल स्रोत से सवा किमी ऊपर जंगल क्षेत्र में खाल बनाने का कार्य शुरू किया गया। एक माह की मेहनत के बाद ग्रामीणों ने 40 मीटर लंबी और 18 मीटर चौड़ी खाल का निर्माण किया। उस वर्ष, बरसात में खाल में काफी पानी एकत्रित हुआ, जिससे पूरे क्षेत्र को अच्छी नमी मिल गई। वर्ष 2015 में इस झील में पांच लाख लीटर पानी एकत्रित हुआ, जिससे गांव के पेयजल स्त्रोत रिचार्ज होने लगे। साथ ही अन्य नम स्थलों पर भी जलस्रोत फूटने लगे। 

वर्ष 2016 में झील में आठ लाख लीटर पानी जमा हुआ, जो वर्षभर रहा। इसके बाद ग्रामीणों ने 50 हजार और 22 हजार लीटर क्षमता के दो स्टोर टैंक बनाए। टैंक से गांव के 104 घरों तक 5340 मीटर पाइप लाइन बिछाई गई, जिससे घरों को पर्याप्त जलापूर्ति होने लगी। तीन वर्षों से इस झील में 11 लाख लीटर पानी संरक्षित हो रहा है।

एकजुटता से मिली सफलता

प्राकृतिक जल स्रोत को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली राज राजेश्वरी ग्राम कृषक समिति के अध्यक्ष कुंवर सिंह कैंतुरा कहना है कि गांव के सभी परिवारों की एकजुटता से ही गांव को यह मुकाम हासिल हुआ है। इसमें ग्राम प्रधान दीपक कैंतुरा, पूर्व ग्राम प्रधान सीता देवी, रूप सिंह कैंतुरा, खजानी देवी, अनीता देवी, बसंती देवी का सहयोग महत्वपूर्ण रहा।

मन की बात में पीएम ने किया उल्लेख

लुठियाग गांव में जल संरक्षण को लेकर किए गए कार्य का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में उल्लेख करते हुए महिलाओं द्वारा किए गए कार्य की प्रशंसा की थी। रिलायंस समूह के प्रकाश सिंह बताते हैं कि गांव में महिलाओं के सहयोग से चाल खाल बनाई गई, जिससे यहां के प्राकृतिक जल स्रोत रिचार्ज हुए, ग्रामीणों को पीने के पानी उपलब्ध हो रहा है। भारत सरकार ने भी इसकी प्रशंसा की थी।

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