यात्रा स्थगित होने से हैरत में तीर्थ पुरोहित व व्यापारी
बीते वर्ष की तरह इस बार भी चारधाम यात्रा स्थगित किए जाने संबंधी सरकार के निर्णय से हैरत में हैं।
जागरण टीम, गढ़वाल: बीते वर्ष की तरह इस बार भी चारधाम यात्रा स्थगित किए जाने संबंधी सरकार के निर्णय से चारधाम के तीर्थ पुरोहित और यात्रा रूट के व्यापारी हैरत में हैं। उनका कहना है कि यात्रा स्थगित करने के बजाय शर्तों के साथ सीमित संख्या में यात्रियों को आने की छूट दी जानी चाहिए थी। ताकि यात्रा से जुड़े हजारों परिवारों की रोजी-रोटी चलती रहती। अगर सरकार के पास यात्रा संचालित कराने के लिए संसाधन नहीं हैं तो उसे यह बात खुलकर सामने रखनी चाहिए थी। इस फैसले से तो स्पष्ट हो गया है कि सरकार अपनी जवाबदेही से भाग रही है।
कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा स्थगित होने के बावजूद चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के कपाट तय तिथि पर ही खोले जाएंगे। लेकिन, सरकार का यह निर्णय यात्रा रूट के व्यापारी व तीर्थ पुरोहितों को रास नहीं आ रहा। उनका कहना है इस निर्णय को लेने से पूर्व सरकार ने न तो तीर्थ पुरोहितों से विचार-विमर्श किया और न व्यापारियों से ही। केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला कहते हैं, यह ठीक है कि कोरोना की दूसरी लहर से पूरे देश में स्थिति गंभीर है, लेकिन रोजी-रोटी भी तो जरूरी है। सो, सरकार की ओर से कोरोना निगेटिव रिपोर्ट वाले यात्रियों का सीमित संख्या में पंजीकरण कर उन्हें यात्रा में आने की छूट दी जानी चाहिए थी। इससे यात्रा भी सुचारु रहती और कोरोना संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता।
केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती कहते हैं, यात्रा स्थगित करने का निर्णय सरकार को सभी पहलुओं पर विचार कर ही लेना चाहिए था। वहीं, केदारनाथ रूट के होटल व्यवसायी प्रदीप थपलियाल का कहना है कि लगातार दूसरे साल यात्रा स्थगित होने से छोटे व मंझोले व्यापारियों के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है। गुप्तकाशी के होटल व्यवसायी राकेश शुक्ला ने बताया कि उन्होंने बैंक से ऋण लेकर कारोबार शुरू किया था, अब उसे चुकाना मुश्किल हो गया है।
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल कहते हैं कि सरकार यात्रा को सीमित कर सकती थी। इसके लिए कुंभ जैसा सर्कुलर जारी किया जाना चाहिए था। इस निर्णय से तो तीर्थाटन और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े परिवार सड़क पर आ जाएंगे। क्योंकि, उन्हें सरकार ने बिजली-पानी समेत अन्य टैक्स व ऋण के ब्याज में छूट नहीं दी है। यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल के अनुसार यह जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है। इसके लिए कम से कम दस मई तक का इंतजार किया जाना चाहिए था। वह सवाल करते हैं कि क्या कुंभ की तरह चारधाम यात्रा की गाइडलाइन तय नहीं हो सकती थी। गंगोत्री व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष सतेंद्र सेमवाल कहते हैं सरकार की यह लाचारगी समझ से परे है। इस निर्णय से देशभर में गलत संदेश जा रहा है।
सरकार के चार धाम यात्रा स्थगित करने को डिमरी पंचायत ने बताया जरूरी
गोपेश्वर : बदरीनाथ धाम की डिमरी धार्मिक पंचायत बद्रीनाथ डिम्मर के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए उत्तराखंड सरकार की ओर से उत्तराखंड चारधाम यात्रा को स्थगित करने की फैसले का स्वागत किया है। आशुतोष डिमरी ने कहा कि मानव जीवन को सर्वोपरि रखते हुए सीएम तीरथ रावत व पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने सूझबूझ का निर्णय लिया है। डिमरी ने कहा कि कपाट खुलने के साथ ही बद्रीनाथ धाम में भगवान की समस्त पूजाएं व भोग व्यवस्था का पौराणिक मान्यताओं व पारंपरिक रीति रिवाज से निर्वहन निर्वहन किया जाएगा।