बदहाली पर आंसू बहा रही पटवारी चौकी लमगौंडी
न्याय पंचायत ल्वारा के अंतर्गत राजस्व पटवारी चौकी लमगौंडी का भवन रखरखाव के अभाव में आंसू बहा रहा है। दो दशक बीतने के बाद भी अब तक कोई पटवारी इस भवन में नहीं बैठा है। वर्तमान में गुप्तकाशी से ही अपने समस्त कार्यों का क्रियान्वयन हो रहा है जिससे ग्रामीणों को विभिन्न प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दस किलोमीटर दूर गुप्तकाशी की दौड़ लगानी पड़ रही है।
विमल तिवारी, गुप्तकाशी: न्याय पंचायत ल्वारा के अंतर्गत राजस्व पटवारी चौकी लमगौंडी का भवन रखरखाव के अभाव में आंसू बहा रहा है। दो दशक बीतने के बाद भी अब तक कोई पटवारी इस भवन में नहीं बैठा है। वर्तमान में गुप्तकाशी से ही अपने समस्त कार्यों का क्रियान्वयन हो रहा है, जिससे ग्रामीणों को विभिन्न प्रमाण पत्र बनवाने के लिए दस किलोमीटर दूर गुप्तकाशी की दौड़ लगानी पड़ रही है। इससे क्षेत्र की 15 गांवों की दस हजार आबादी को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं।
जनपद गठन के बाद वर्ष 1999 में पौड़ी सांसद रहे मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी ने न्याय पंचायत ल्वारा के अंतर्गत लमगौंडी में पटवारी चौकी की आधारशिला रखी थी। उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निगम लिमिटेड की ओर से भवन का निर्माण किया गया था। भवन निर्माण पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद वर्तमान में भवन की स्थिति इतनी जीर्णशीर्ण बनी हुई हैं। भवन के चारों ओर घास जमने से यह खंडहर में तब्दील हो रहा है। भवन में दरवाजे, खिड़कियां सड़ने के साथ ही दीवारों का प्लस्तर तक उखड़ गया है। खास बात तो यह कि जब से भवन निर्माण कार्य हुआ है, तब से यहां कोई भी पटवारी इस भवन में नहीं बैठा है। हमेशा गुप्तकाशी से ही अभी तक सभी पटवारी अपने कार्यों का क्रियान्वयन करते आ रहे हैं। हालांकि जनपद गठन के बाद जिले में हर विभाग में अधिकारी व कर्मचारियों की कमी हमेशा खलती रही है। जिले में पटवारियों के पद भी लंबे समय से खाली रहने से एक ही पटवारी के पास कई क्षेत्रों का अतिरिक्त चार्ज दिया जा रहा है। उक्त भवन में न बैठने का कारण जो भी रहा, लेकिन रोटेशन के हिसाब में इस भवन में कभी न कभी पटवारी को अवश्य बैठना चाहिए था।
ग्राम पंचायत लमगौडी, देवली भणिग्राम, फली फसालत, ल्वारा, सल्या, तुलंगा, ल्वांणी, अन्द्रवाड़ी समेत कई गांवों के ग्रामीणों को दस से अधिक किलोमीटर की दूरी तय कर अपने आवश्यक कार्य के लिए गुप्तकाशी आना पड़ता है, जिससे उन्हें समय के साथ ही आर्थिकी का नुकसान भी उठाना पड़ता है। ऐसे में कई बार पटवारी की फील्ड में ड्यूटी लगने से ग्रामीणों को कई बार बैरंग ही लौटना पड़ता था। जिला पंचायत सदस्य गणेश तिवारी का कहना है कि पटवारी चौकी को बने दो दशक से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक इसमें पटवारी के दर्शन नहीं हुए। इससे क्षेत्रीय ग्रामीण युवकों को स्थायी निवास, जाति, आय, कृषक प्रमाण पत्र समेत कई प्रकार के प्रमाण पत्रों के साथ ही अन्य कार्यों को करवाने में भारी परेशानी होती है।
पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख विष्णुकांत शुक्ला व प्रधान देवली भणिग्राम ज्योति सेमवाल का कहना है कि इस संबंध में कई बार बीडीसी, तहसील दिवस के साथ ही शासन-प्रशासन को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। उन्होंने शासन-प्रशासन पर क्षेत्र में सरकारी धन का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया है।