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बेकार वस्तुओं को 'आकार' दे रहे मेहरबान

हमारी थोड़ी सी रचनात्मक पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार साबित होगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 06:12 AM (IST)
बेकार वस्तुओं को 'आकार' दे रहे मेहरबान
बेकार वस्तुओं को 'आकार' दे रहे मेहरबान

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: घरों में इस्तेमाल होने वाले घी, तेल, नमक व अन्य खाद्य वस्तुओं के खाली पैकेट व अन्य बेकार वस्तुओं से घर में ही प्रयोग किए जाने वाला पायदान, चटाई व अन्य सामान तैयार किया जा सकता है। जबकि खुले में फेंके जाने पर यही कचरा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। हमारी थोड़ी सी रचनात्मक पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार साबित होगी। यह कहना है पिछले बीस वर्षों से पर्यावरण जागरुकता के क्षेत्र में कार्य कर रहे मेहरबान सिंह बुटोला का।

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वर्तमान में बदरी केदार मंदिर समिति में सहायक के पद पर कार्यरत मेहरबान इन दिनों जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली छात्र-छात्राओं व गांव वालों को वेस्ट मैटेरियल से उपयोगी वस्तु बनाने का भी प्रशिक्षण दे रहे हैं। वह बताते हैं कि पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान घरों से रोजाना निकलने वाले प्लास्टिक के कचरे से ही होता है। शहरी क्षेत्रों में भले ही नगर निगम और नगर पालिका प्रशासन की ओर से इसके निस्तारण की उचित व्यवस्था हो, लेकिन आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में अभी कूड़ा निस्तारण के प्रति जागरुकता का अभाव है। प्लास्टिक के वेस्ट मैटेरियल से सिर्फ पायदान ही नहीं, बल्कि रस्सी, गमला, टोकरी और कूड़ादान भी बनाया जा रहा है। जो दिखने में भी काफी अच्छे व आकर्षक होते हैं।

मेहरबान सिंह का कहना है कि वेस्ट मैटेरियल का उपयोग काफी अच्छे तरीके से घरों में ही हो सकता है। लेकिन, इसके लिए जागरुकता के साथ-साथ प्रशिक्षण की भी आवश्यकता है। प्रदेश सरकार इस दिशा में पहल करे तो वेस्ट मैटेरियल से स्वरोजगार भी किया जा सकता है और महिलाओं इसमें बेहतर कार्य कर सकती हैं।

वह बताते हैं कि लॉकडाउन से पूर्व वह राजकीय इंटर कॉलेज रुद्रप्रयाग, जनता जूनियर हाईस्कूल सतेराखाल, क्यंजा, लुकुंदीधार समेत रुद्रप्रयाग जिले के अंतर्गत 12 से अधिक स्कूलों में वेस्ट मैटेरियल से से के उपयोग को लेकर छात्र-छात्राओं को जानकारी दे चुके हैं। इसके अलावा इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में उनका अभियान जारी है।


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