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तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 17 मई और द्वितीय केदार मध्यमेश्वर के कपाट 24 मई को खुलेंगे

Kedarnath Yatra 2021 बैशाखी के पावन पर्व पर द्वितीय केदार मध्यमेश्वर और तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट खुलने की तिथि घोषित कर दी हैं। पचांग गणना के अनुसार मध्यमेश्वर धाम के कपाट 24 मई को प्रात 11 बजे और तुंगनाथ के कपाट 17 मई को दोपहर 12 बजे खोले जाएंगे

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 12:40 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 10:20 PM (IST)
तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 17 मई और द्वितीय केदार मध्यमेश्वर के कपाट 24 मई को खुलेंगे
गौरीकुंड में स्थित गौरामाई के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं।

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग। Kedarnath Yatra 2021 बैशाखी के पावन पर्व पर द्वितीय केदार मध्यमेश्वर और तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट खुलने की तिथि भी घोषित कर दी गई हैं। पचांग गणना के अनुसार मध्यमेश्वर धाम के कपाट 24 मई को प्रात: 11 बजे और तुंगनाथ के कपाट 17 मई को दोपहर 12 बजे खोले जाएंगे। केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि पहले ही घोषित की जा चुकी है। केदारनाथ के कपाट 17 मई और बदरीनाथ के कपाट 18 मई को खोले जाएंगे।

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बुधवार को रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ स्थित पंचगद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अधिकारियों और वेदपाठियों की उपस्थिति में कपाट खोलने की तिथि तय की गई। देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि मध्यमेश्वर की उत्सव डोली 22 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से धाम के लिए प्रस्थान करेगी। रांसी में रात्रि विश्राम के बाद 23 मई को डोली गोंडार पहुंचेगी।  24 मई को डोली मध्यमेश्वर धाम में विराजेगी। इस मौके पर केदारनाथ की पूर्व विधायक आशा नौटियाल, देवस्थानम बोर्ड के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल,  वेदपाठी यशोधर मैठाणी,  विश्व मोहन जमलोकी,  पुजारी शिवशंकर लिंग उपस्थित थे। 

 तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट खोलने की तिथि और मुहूर्त शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में तय किया गया। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार तुंगनाथ की डोली 16 मई को रवाना होगी। चोपता में रात्रि प्रवास के बाद डोली 17 मई को तुंगनाथ पहुंचेगी। 

गौरीकुंड में खुले गौरीमाई के कपाट

 केदारनाथ यात्रा के अंतिम पड़ाव स्थल गौरीकुंड में स्थित गौरामाई के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। बैसाखी के पावन पर्व पर बुधवार को सुबह करीब सात बजे गौरामाई की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल गौरी गांव से रवाना हुई। गौरीकुंड पहुंचने पर गौरीमाई के जयकारों के बीच लगभग आठ बजे कपाट खोल दिए गए। 

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