गौरीकुंड में अज्ञात बीमारी से हो रही घोड़े-खच्चरों की मौत
केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव स्थल गौरीकुंड समेत अन्य यात्रा पड़ावों में यात्रा शुरू होने से अब तक तीन सौ से अधिक घोड़े-खच्चरों की अज्ञात बीमारी से मौत हो चुकी है। जिससे घोड़ा-खच्चर संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है। मंगलवार को 11 घोड़ों की मौत हुई।
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग : केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव स्थल गौरीकुंड समेत अन्य यात्रा पड़ावों में यात्रा शुरू होने से अब तक तीन सौ से अधिक घोड़े-खच्चरों की अज्ञात बीमारी से मौत हो चुकी है। जिससे घोड़ा-खच्चर संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है। मंगलवार को 11 घोड़ों की मौत हुई। घोड़ा संचालकों ने आरोप लगाया कि समय पर उपचार ना मिलने के कारण घोड़े-खच्चरों की मौत होने के मामलों में वृद्धि हो रही है। वहीं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी रुद्रप्रयाग डा. आशीष रावत ने बताया कि अभी तक मात्र 35 घोड़े-खच्चरों के मरने के दस्तावेज ही प्राप्त हुए हैं।
केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव स्थल गौरीकुंड, सोनप्रयाग व केदारनाथ धाम में रोजाना दस से अधिक घोड़े-खच्चरों की अज्ञात बीमारी से मौत हो रही है। गत छह मई से अब तक 11 दिन में तीन सौ से अधिक घोड़े-खच्चरों की मौत हो चुकी है। यात्रा के लिए अब तक 8200 घोड़ा- खच्चरों का रजिस्ट्रेशन हुआ है।
घोड़ा संचालक गोविंद सिंह रावत ने बताया कि रोजाना दस से अधिक घोड़े खच्चरों की मौत से संचालक में खौफ बना हुआ है। बड़ी उम्मीद से यात्रा सीजन के लिए रुद्रप्रयाग जनपद के साथ ही उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों से घोड़ा-खच्चर संचालक रोजगार के लिए यहां आए हुए हैं। लेकिन, पशुओं की अचानक हो रही मौतों से उन्हें आर्थिक रूप से भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। घोड़ा संचालक अरविन्द सिंह राणा ने कहा कि घोड़े-खच्चर बीमार हो रहे हैं, लेकिन समय पर डाक्टर ना आने से उन्हें उपचार नहीं मिल पा रहा है। कहा कि बीमार हुए घोड़ा-खच्चरों की मलद्वार से आंत बाहर आ रही है। मुंह से झाग आ रहा है। यह अज्ञात बीमारी है। समय से यदि बीमार पशुओं का उपचार नहीं किया गया तो गंभीर समस्या खड़ी हो सकती है। गौरतलब है कि वर्ष 2012 में भी हजारों घोड़े-खच्चरों की मौत अज्ञात बीमारी से हो गई थी। जिससे घोड़ा-खच्चर संचालकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। वर्ष 2014 में भी अज्ञात बीमार से घोडे़-खच्चरों की मौत हो गई थी। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी रुद्रप्रयाग डा. आशीष रावत ने बताया कि 35 घोड़े-खच्चरों के मरने के दस्तावेज ही प्राप्त हुए हैं। जबकि अभी तक अन्य घोड़े-खच्चरों के मरने की सूचना व दस्तावेज प्राप्त नहीं हो सके हैं। इसके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।