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केदारनाथ आपदा: धीरे-धीरे मिट गया तबाही का हर निशान

केदारनाथ आपदा ने न केवल केदारपुरी बल्कि गौरीकुंड और सोनप्रयाग में भी भारी तबाही मचाई थी। बीते सात वषों के दौरान हुए पुनर्निर्माण ने अब दोनों कस्बों की सूरत बदल डाली है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 10:24 AM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 08:39 PM (IST)
केदारनाथ आपदा: धीरे-धीरे मिट गया तबाही का हर निशान
केदारनाथ आपदा: धीरे-धीरे मिट गया तबाही का हर निशान

रुद्रप्रयाग, बृजेश भट्ट। वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा ने न केवल केदारपुरी, बल्कि गौरीकुंड और सोनप्रयाग में भी भारी तबाही मचाई थी। सोनप्रयाग तो पूरी तरह मंदाकिनी नदी में समा गया था, जबकि गौरीकुंड कस्बे का मंदाकिनी नदी से सटा हिस्सा जमींदोज हो गया था। लेकिन बीते सात वषों के दौरान हुए पुनर्निर्माण ने अब दोनों कस्बों की सूरत बदल डाली है। हालांकि, अब भी कई कार्य होने शेष हैं।

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सोनप्रयाग में सौ से अधिक व्यापारिक प्रतिष्ठान धराशायी हो गए थे और कस्बे का बाकी हिस्सा भी जलमग्न हो गया था। इसी तरह गौरीकुंड में भी मंदाकिनी नदी के किनारे बने 150 से अधिक होटल और लॉज बाढ़ की भेंट चढ़ गए थे।

गौरीकुंड से लेकर सोनप्रयाग तक गौरीकुंड हाईवे का छह किमी हिस्सा, मोटर पुल और हाईवे पर स्थित तीन पार्किंग स्थल भी मंदाकिनी नदी अपने साथ बहाकर ले गई थी। आपदा के बाद हाईवे के इस छह किमी हिस्से को दुरुस्त करने में डेढ़ वर्ष का समय लगा। वर्ष 2015 में अमेरिकी तकनीक से सोनप्रयाग में एक्रो ब्रिज का निर्माण किया गया, जिस पर 36 करोड़ रुपये की लागत आई। साथ ही सोनप्रयाग में सौ करोड़ रुपये की लागत से बहुमंजिला पाकिर्ंग स्थल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण भी हुआ। इस  पार्किंग में लगभग एक हजार वाहन पार्क किए जा सकते हैं।

पार्किंग के पास हेलीपैड भी बनाया गया है, ताकि भविष्य में अगर ऐसी अनहोनी घटती है तो राहत एवं बचाव कार्यों में किसी प्रकार की दिक्कत पेश न आए। आपदा के बाद वर्ष 2018 तक सोनप्रयाग से ही यात्रा का संचालन होता रहा। इस दौरान घोड़े-खच्चरों का संचालन भी यहीं से हुआ, जबकि आपदा से पूर्व गौरीकुंड से ही यात्रा व्यवस्थाओं का संचालन होता था।

केदारनाथ यात्रा के प्रमुख पड़ाव गौरीकुंड की बात करें तो भारी तबाही के बावजूद सरकार ने सोनप्रयाग के मुकाबले यहां कम ध्यान दिया। हालांकि, गौरीकुंड को सोनप्रयाग से जोड़ने के लिए पैदल मार्ग और गौरीकुंड में हेलीपैड का निर्माण किया गया। मंदाकिनी नदी पर बाढ़ सुरक्षा कार्य हुए, लेकिन पौराणिक तप्त कुंड का पुनर्निर्माण अभी तक नहीं हो पाया है। बावजूद इसके बीते वर्ष यात्रा सीजन में यहां यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ी। इससे होटल व्यवसायियों के भी चेहरे खिल उठे।

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गौरीकुंड के पूर्व प्रधान मायाराम गोस्वामी कहते हैं कि अभी गौरीकुंड में पार्किंग और तप्त कुंड का निर्माण होना शेष है। लेकिन, गौरा माई मंदिर को मलबे से बाहर निकालकर उसके क्षतिग्रस्त हिस्सों को दुरुस्त कर लिया गया है।

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