अपनों ने भी नहीं दिया जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई का साथ
प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा की जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह को आखिरकार अपना इस्तीफा देना पड़ा। भाजपा हाईकमान ने भी उनकी कुर्सी बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा की जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह को आखिरकार अपना इस्तीफा देना पड़ा। भाजपा हाईकमान ने भी उनकी कुर्सी बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपा के जिला पंचायत सदस्य भी उनके खिलाफ हो गए। नाराज सदस्यों ने उन पर मनमाने तरीके से कार्य करने तथा सदस्यों को बिना विश्वास में लिए जिला पंचायत के निर्णय लेने का आरोप लगाया था।
ढाई वर्ष पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर भाजपा की अमरदेई शाह ने आसानी से जीत दर्ज कर ली थी, लेकिन इसके बाद से ही जिला पंचायत सदस्यों में उनके खिलाफ असंतोष पनपने लगा। स्थिति यहां तक आ गई कि 18 में से 17 सदस्य अध्यक्ष से नाराज चल रहे थे। गत 3 जून को जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवारी के नेतृत्व में 14 सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास मत लाने के लिए हस्ताक्षर युक्त शपथ पत्र डीएम को सौंपा था। इसमें भाजपा के सदस्य भी शामिल थे।
जिला पंचायत सदस्य गणेश तिवारी ने बताया कि इसमें चार भाजपा के भी सदस्य शामिल है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवारी ने बताया कि जिले में काफी समय से अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सदस्य मन बना रहे थे। इसमें जिला पंचायत सदस्य सविता भंडारी, रीना बिष्ट, भूपेन्द्र लाल, मंजू सेमवाल भाजपा के अधिकृत सदस्य हैं। सभी सदस्यों ने आरोप लगाया था कि जिला पंचायत अध्यक्ष मनमानी कर रही हैं। सदस्यों को बिना बताए ही महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं। हाल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई, जिसकी जानकारी सदस्यों को नही है। यात्रा व्यवस्था में घोड़े खच्चर की गद्दी के कार्य को लेकर अनुमोदन नहीं किया गया। निविदा के बिना ही कार्य एक व्यक्ति को सौंपा गया। इसके साथ ही राजकीय वाहन प्रयोग अपने निजी कायरें के लिए करती हैं। जिला पंचायत सदस्यों ने सोनप्रयाग में बिना किसी सूचना के पार्किग में एक व्यक्ति को बिस्तर लगाने की अनुमति दी, जबकि स्थानीय जिला पंचायत सदस्य को भी इसकी कोई सूचना नहीं थी।
नाराज चल रहे सदस्यों का कहना है कि भाजपा हाईकमान की ओर से किसी ने भी उनके संपर्क नहीं साधा। यही कारण रहा कि अध्यक्ष को अंतत वोटिग से पहले ही अपना इस्तीफा देना पड़ा।