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केदारनाथ में चौराबाड़ी ग्लेशियर पर नजर रखने के निर्देश

चौराबाड़ी ग्लेशियर का निरीक्षण कर वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों को निर्देश दिए कि ग्लेशियर पर नजर रखी जाए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 01:12 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 01:12 PM (IST)
केदारनाथ में चौराबाड़ी ग्लेशियर पर नजर रखने के निर्देश
केदारनाथ में चौराबाड़ी ग्लेशियर पर नजर रखने के निर्देश

रुद्रप्रयाग, जेएनएन। उत्तराखंड के मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने चौराबाड़ी ग्लेशियर का निरीक्षण कर वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों को निर्देश दिए कि ग्लेशियर पर नजर रखी जाए। इसके अलावा राज्य आपदा प्रतिपादन बल (एसडीआरएफ) के जवान भी यहां लगातार गश्त करते रहें।

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गौरतलब है कि वर्ष 2013 में चौराबाड़ी ग्लेशियर बनी झील टूटने से ही केदारनाथ में आपदा आई थी। शनिवार को केदारनाथ पहुंचे मुख्य सचिव उत्पल कुमार आठ किलोमीटर दूर चौराबाड़ी ग्लेशियर पहुंचे। उन्होंने कहा कि ग्लेशियर पर नजर रखने की जरूरत है कि कहीं यहां कोई झील न बन जाए। उन्होंने कहा कि वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक ग्लेशियर की निगरानी करें। मुख्य सचिव ने प्रशासन से कहा कि केदारनाथ से वासुकी ताल ट्रैक को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए कार्ययोजना बनाएं। इससे पहले मुख्य सचिव ने मंदिर में पूजा-अर्चना भी की। इस दौरान उनके साथ रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता प्रवीन कर्णवाल और जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी हरीश चंद्र भी मौजूद थे।

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वैज्ञानिकों का दावा: चौराबाड़ी ग्लेशियर में बनी झील से केदारनाथ को कोई खतरा नहीं

वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों ने केदारनाथ से साढ़े चार किमी ऊपर चौराबाड़ी ग्लेशियर पर बनी नई सीजनेबल झील का अध्ययन कर लिया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक झील का दायरा करीब आठ मीटर है और इसमें पांच से सात फीट तक पानी भरा है। हालांकि, केदारनाथ को झील से किसी भी तरह के खतरे से वैज्ञानिकों ने साफ इन्कार किया। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि केदारनाथ से दो किमी ऊपर स्थित चौराबाड़ी ताल आपदा के बाद जिस स्थिति में आ गया था, अब भी बिल्कुल वैसा ही है। यहां पानी एक नाले से नीचे आ रहा है।

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