शिशु मृत्यु दर बढ़ने पर जताई ¨चता
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: बाल अधिकार संरक्षण से संबंधित अनुश्रवण की बैठक में प्रदेश में लगातार शिशु
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: बाल अधिकार संरक्षण से संबंधित अनुश्रवण की बैठक में प्रदेश में लगातार शिशु मृत्यु दर बढ़ने पर ¨चता जताई। साथ ही बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर विशेष ध्यान केंद्रित करने की जरूरत भी महसूस की गई।
जिला सभागार में आयोजित बैठक में बाल अधिकार आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूड़ी ने कहा कि शिक्षा के स्तर में उत्तराखंड का प्रतिशत आंकड़ों के सापेक्ष काफी खराब स्थिति में है। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में विश्व की दूसरे स्तर की सबसे घटिया शिक्षा है। भारत का शिक्षित युवा वर्ग मात्र 40 प्रतिशत ही नौकरी पाने के काबिल है। कहा कि कक्षा 5 में 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे अपनी मातृ भाषा को भी ठीक तरह से लिख-पढ़ नहीं सकता। देश के 37 प्रतिशत स्कूलों में बिजली की आपूर्ति नहीं है। कहा कि उत्तराखंड में शिशु मृत्यु दर में कमी नहीं हो पा रही है। इसका मुख्य कारण डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ की कमी है। भारत के हिमालयी राज्यों में चिकित्सा सुविधाओं का बेहद अभाव है, जिसके कारण हिमालयी राज्यों के बच्चों में अधिकतर लंबाई और वजन की समस्या पाई जाती है। उन्होंने कुपोषण, भुखमरी आदि के इंडेक्स पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत में पांच वर्ष से कम आयु के 38 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं। नीति आयोग की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार देश के 170 कुपोषित जिलों में उत्तराखंड भी शामिल है।
इस मौके पर उन्होंने बाल भिक्षा, बाल श्रम, बाल विवाह आदि मुद्दों पर अधिकारियों से अपने विचार साझा किए। गुणवत्तापरक शिक्षा तथा संस्कारों के लिए शिक्षकों के साथ ही अभिभावकों को भी संस्कारवान शिक्षा देने की अपील की। अपर जिलाधिकारी गिरीश गुणवंत ने सभी विभागों को एकजुट होकर बच्चों के प्रति कार्य करने को कहा। उन्होंने आयोग की गाइड लाइन के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस समेत सभी जिम्मेदार विभागों को बच्चों के प्रति अपनी सकारात्मक कार्यवाही कर रिपोर्ट जिला प्रशासन को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर आयोग के सदस्य वाचस्पति सेमवाल, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष उषा सकलानी, अपर सीएमओ डॉ. ओपी आर्य, सीओ श्रीधर बडोला, कार्यक्रम अधिकारी धर्मवीर ¨सह, बाल संरक्षक अधिकारी रोशनी रावत समेत कई अधिकारी उपस्थित थे।