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15 घंटे 35 मिनट बाद खुले चारधाम के कपाट

आषाढ़ कृष्ण अमावस्या पर लगे साल के पहले सूर्यग्रहण का सूतक समाप्त होने पर रविवार दोपहर दो बजे बाद चारधाम समेत सभी मठ-मंदिरों के कपाट खोल दिए गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 10:31 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 06:15 AM (IST)
15 घंटे 35 मिनट बाद खुले चारधाम के कपाट
15 घंटे 35 मिनट बाद खुले चारधाम के कपाट

जागरण टीम, गढ़वाल: आषाढ़ कृष्ण अमावस्या पर लगे साल के पहले सूर्यग्रहण का सूतक समाप्त होने पर रविवार दोपहर दो बजे बाद चारधाम समेत सभी मठ-मंदिरों के कपाट खोल दिए गए। इससे पूर्व, साफ-सफाई के बाद गंगाजल से मंदिरों का शुद्धिकरण कर अभिषेक पूजा की गई। मंदिरों के कपाट सूर्यग्रहण का सूतक शुरू होने से 12 घंटे पूर्व शनिवार रात 10.25 बजे बंद किए गए थे। इसके चलते हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर सुबह होने वाली गंगा आरती भी दोपहर 2.30 बजे संपन्न हुई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी समेत अन्य गंगा घाटों पर आस्था की डुबकी लगाई और जरूरतमंदों को दान किया। मंदिरों में दर्शनों को भी काफी भीड़ रही। ऋषिकेश व देवप्रयाग में भी श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया।

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मृगशिरा व आद्र्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में पड़ा यह सूर्यग्रहण वलयाकार था, जो रविवार सुबह 10.25 बजे से प्रभावी हुआ। ग्रहण का मध्य दोपहर 12.06 बजे, जबकि मोक्ष दोपहर एक बजकर 52 मिनट पर हुआ। शनिवार रात 10.25 बजे ग्रहण का सूतक प्रारंभ होने पर चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री के अलावा पंचबदरी, पंचकेदार आदि सभी मठ मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे। रविवार दोपहर ग्रहण का मोक्ष होने पर दो बजे बाद मंदिरों के कपाट खोले गए और साफ-सफाई व गंगाजल से शुद्धिकरण कर गर्भगृहों में अभिषेक पूजा संपन्न हुई।

बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल और केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने बताया कि शुद्धिकरण के लिए बदरी-केदार में हवन-पूजन हुआ और फिर भगवान बदरी विशाल व बाबा केदार को दोपहर का भोग लगाया गया। बदरीनाथ में धर्माधिकारी के अलावा पं.सत्यप्रकाश चमोला, पं.रविंद्र भट्ट, पं.मोहित सती आदि ने अभिषेक पूजा संपन्न कराई। गंगोत्री धाम में ग्रहण के दौरान तीर्थ पुरोहितों ने गंगा सहस्त्रनाम और बीज मंत्र का जाप किया। जबकि, यमुनोत्री धाम में यमुनाष्टक व हनुमान चालीसा का पाठ हुआ। ग्रहण उतरने पर साफ-सफाई के बाद गंगोत्री मंदिर में मां गंगा को राजभोग लगाकर उनकी आरती उतारी गई। यमुनोत्री धाम में भी देवी यमुना की आरती के साथ उन्हें भोग लगाया गया। वहीं, देवप्रयाग में श्रीरघुनाथ मंदिर और टिहरी में सिद्धपीठ चंद्रबदनी मंदिर के कपाट शाम चार बजे खोले गए।


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