भगवती राकेश्वरी मंदिर में चल रहे जागर संपन्न
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: मध्यमहेश्वर घाटी के भगवती राकेश्वरी मंदिर में चल रहे पौराणिक जागरों का सम
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: मध्यमहेश्वर घाटी के भगवती राकेश्वरी मंदिर में चल रहे पौराणिक जागरों का समापन हो गया है। इस अवसर पर स्थानीय लोग 14 हजार फीट की ऊंचाई से ब्रह्मकमल लेकर मां को अर्पित किए गए।
गत सावन मास की संक्राति से अश्विन मास तक ग्राम पंचायत रांसी में पौराणिक जागरों के गाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसी कड़ी में इस वर्ष भी पौराणिक जागरों को शुरू किया गया। प्रसिद्ध जागरी शिव सिंह पंवार, पूर्ण सिंह पंवार ने बताया कि दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरों में पृथ्वी की उत्पत्ति, कृष्ण जन्म, कृष्ण लीला, कंस वध, शिव पार्वती उत्पत्ति, शिव पार्वती विवाह आदि लीलाओं व महिमा का गुणगान किया जाता है। मुकंदी सिंह पंवार ने बताया कि जागरों के अन्त में कौरव-पांडवों की उत्पत्ति, महाभारत युद्ध, दुर्योधन वध, युधिष्ठिर का राज्यभिषेक का गुणगान भी जागरों में किया जाता है। मंदिर समिति अध्यक्ष जेएस पंवार ने बताया कि पौराणिक जागरों का समापन भगवती राकेश्वरी को ब्रह्मकमल अर्पित करने के साथ होता है और इस बार जसपाल सिंह खोयाल, शिव सिंह खोयाल व कार्तिक सिंह खोयाल तीन दिवसीय अनुष्ठान रखकर नंगे पांव लगभग 14 हजार फीट की ऊंचाई से परम्परानुसार ब्रह्मकमल लाए। मां को यह पुष्प अर्पित करने के उपरान्त पौराणिक जागरों का समापन हुआ। जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा ने बताया कि राकेश्वरी मन्दिर में पौराणिक जागर के समापन का समय बड़ा मार्मिक होता है। इस मौके पर आचार्य स्वयंबर सेमवाल, रोशन देवशाली, मानवेंद्र भट्ट, ईश्वरीय प्रसाद भटट्, लक्ष्मण सिंह पंवार, क्षेपंस बलवीर भट्ट, भरोसी रावत समेत ग्रामीण उपस्थित थे।