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केदारपुरी में बैटरी चलित कारों का संचालन आज भी सपना

केदरापुरी में बैटरी से चलने वाली कारों के संचालन की कवायद अब एक सपना सा लग रही है। क्योंकि आजतक तक इस फैसले को अमल में नहीं लाया गया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 09 Jun 2018 08:00 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jun 2018 05:15 PM (IST)
केदारपुरी में बैटरी चलित कारों का संचालन आज भी सपना
केदारपुरी में बैटरी चलित कारों का संचालन आज भी सपना

रुद्रप्रयाग, [बृजेश भट्ट]: जून 2013 की आपदा के बाद प्रदेश कैबिनेट ने केदारपुरी में छानी कैंप से मंदिर तक तीन किमी हिस्से में तक बैटरी चलित कारों के संचालन का निर्णय लिया था, लेकिन आज तक इस निर्णय पर अमल नहीं हो पाया। बैटरी चलित कारों के संचालन से जहां मंदिर की पैदल दूरी कम होगी, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा। 

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आपदा के बाद केदारनाथ की पैदल यात्रा पहले की अपेक्षा काफी कठिन हो गई है। एक ओर जहां नए पैदल मार्ग से धाम की दूरी दो किमी बढ़ गई है, वहीं इस पर तीखी चढ़ाई भी है। इसी को देखते हुए तत्कालीन प्रदेश सरकार ने केदारपुरी में मंदिर से तीन किमी पहले छानी कैंप से बैटरी चालित कारों के संचालन की कवायद शुरू की। अक्टूबर 2016 में केदारनाथ में कैबिनेट बैठक आयोजित कर इस संबंध में बाकायदा प्रस्ताव भी पारित किया गया। लेकिन, फिर बात आई-गई हो गई। 

केदारपुरी में इन दिनों व्यापक स्तर पर पुनर्निर्माण कार्य चल रहे हैं। इसमें 400 सौ से अधिक मजदूर और कर्मचारी लगे हुए हैं। केदारनाथ बेस कैंप से लेकर मंदाकिनी व सरस्वती नदी के संगम पर स्थित घाट और मंदिर के पीछे स्थित स्थानों को आपस में सड़क से जोड़ा जा चुका है। कुल छह किमी सड़क का निर्माण केदारपुरी में किया गया है, जिस पर भारी ट्रक व मशीनें आ-जा रही हैं। 

केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती कहते हैं कि धाम में आने वाले यात्रियों को अधिक से अधिक सुविधाएं मिलें, इसका पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। फिर बैटरी चलित कारों के संचालन से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं है। साथ ही इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। क्योंकि, इन कारों का संचालन स्थानीय लोगों को ही करना है। उधर, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि पूर्व में आयोजित कैबिनेट के फैसले की जानकारी ली जाएगी। इसमें प्रशासन के स्तर पर जो भी संभव होगा, कार्रवाई की जाएगी।

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