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जिले के 52 सैनिक न्यौछावर कर चुके हैं देश के लिए जान

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: जिले में अब तक देश की सेवा करते हुए 52 सैनिक शहीद हो चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 03:00 AM (IST)
जिले के 52 सैनिक न्यौछावर कर चुके हैं देश के लिए जान
जिले के 52 सैनिक न्यौछावर कर चुके हैं देश के लिए जान

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: जिले में अब तक देश की सेवा करते हुए 52 सैनिक शहीद हो चुके हैं। इनके परिजन न सिर्फ गर्व महसूस करते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी सेना भर्ती की राह दिखाते हैं। वो चाहते हैं कि सरकार पाकिस्तान की करतूतों का हिसाब एक बार में ही चुकता कर दे।

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देश की रक्षा करते हुए जिले से शहीद होने वाले सैनिकों की लंबी लिस्ट है। सैनिक बाहुल्य जिले में लगभग प्रत्येक गांव के युवा सेना में भर्ती हैं और आज भी इंटर पास करने के बाद युवाओं की पहली पसंद सेना ही है। कारगिल युद्ध रहा हो या आपरेशन विजय, आपरेशन रक्षक, आपरेशन पराक्रम आदि सभी में सैनिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 30 जून वर्ष 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान राइफल मैन भगवान ¨सह शहीद हो गए थे। शहीद की पत्नी सुंदरी देवी का कहना है कि पाकिस्तान से बार-बार के बजाय एक बार में ही हिसाब चुकता कर देना चाहिए। नायक गोविंद ¨सह 25 जुलाई 1999 में आपरेशन विजय के दौरान शहीद हो गए थे। उनकी पत्नी उमा देवी कहती हैं कि जिस घृणित रूप से सैनिकों की हत्या की गई, उसका पाकिस्तान से बदला लेना चाहिए। वहीं 20 जून 2002 में आपरेशन पराक्रम के दौरान शहीद हुए सूबेदार मदन ¨सह की पत्नी विमला देवी ने पुलवामा की घटना को लेकर पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग की। 24 अप्रैल 2002 को आपरेशन पराक्रम के दौरान शहीद राइफल मैन उदय ¨सह की पत्नी कृषा देवी भी पुलवामा की घटना से काफी दुखी हैं। वह कहती हैं कि किसी भी सूरत में दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।


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