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दो वर्षो में 21 जिंदगी लील चुका है गौरीकुंड हाईवे

सिस्टम की लापरवाही की फेरिहस्त लंबी है लेकिन रुद्रप्रयाग जनपद के गौरीकुंड हाईवे की बात करें तो यहां लापरवाही की बेइंतहां हो गई। यहां चारधाम परियोजना के तहत चल रहे चौड़ीकरण कार्य के चलते अब 21 लोग जान गवां चुके हैं लेकिन सिस्टम गहरी नींद सोया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 11:08 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 06:11 AM (IST)
दो वर्षो में 21 जिंदगी लील चुका है गौरीकुंड हाईवे
दो वर्षो में 21 जिंदगी लील चुका है गौरीकुंड हाईवे

बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग

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चारधाम परियोजना के तहत 76 किमी लंबे गौरीकुंड हाईवे पर चल रहा चौड़ीकरण का कार्य स्थानीय बाशिंदों के लिए खतरे का सबब बना है। इसकी तस्दीक इस मार्ग पर बने करीब एक दर्जन डेंजर जोन बयां कर रहे हैं। हाईवे पर लगातार हो रहे भूस्खलन से पिछले दो वर्षो में 21 लोग जान गवां चुके हैं जबकि 40 से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। हैरानी की बात ये है कि इस सबकी जानकारी होने के बाद भी सरकारी महकमा आंख मूंदे है।

गौरीकुंड हाईवे केदारनाथ यात्रा के साथ ही पूरी केदारघाटी की लगभग एक लाख आबादी के लिए लाइफ लाइन है। इस मार्ग पर गत वर्ष सितंबर महीने में फाटा के पास पहाड़ी से भूस्खलन के कारण एक जीप व दो मोटर साइकिल मलबे में दफन हो गए थे। इस घटना में छह व्यक्तियों की मौत हो गई थी। वहीं वर्ष 2018 दिसंबर में बांसवाड़ा से आगे हाईवे पर चारधाम परियोजना के कार्य कर रहे नौ मजदूर पहाड़ी से आए मलबे के कारण दब गए थे, इन सभी की मौत हो गई थी। गत 31 जुलाई को भी संगम बाजार में पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण रुद्रप्रयाग में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। सोमवार को भी बांसवाड़ा में आवाजाही कर रहे नवयुवक की पहाड़ी से पत्थर गिरने से मौत हो गई। इन घटनाओं के बाद भी सरकार सुध नहीं ले रही है। ये हाल तब है जब बीते अप्रैल महीने में ऊखीमठ में बैठक लेने गए उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धनसिंह के वाहन पर भी पहाड़ी से पत्थर गिर गया था और वे बाल-बाल बचे। डेंजर जोन के ट्रीटमेंट करने की बात पिछले एक वर्ष से अधिक समय से की जा रही है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। बरसात के सीजन में यह हाईवे और भी खतरनाक बन गया है। कई स्थानों पर पहाड़ी से आए दिन मलबा व पत्थर गिर रहे हैं।

यह हैं डेंजर जोन

रामपुर, सिल्ली, सौड़ी, चंद्रापुरी, गबनी गांव, बांसवाड़ा, भीरी, मुनकटिया, बडासू, चंडिकाधार, सेमी और डोलिया मंदिर क्षेत्र। डेंजर जोन का सर्वे हो चुका है। अब कटिग कार्य पूरा होने के बाद वैज्ञानिक विधि से इनका ट्रीटमेंट किया जाएगा।

जितेन्द्र त्रिपाठी, अधिशासी अभियंता


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