प्लास्टिक प्रदूषण से घट रही जैव विविधता
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: पर्वतीय क्षेत्रों में बड़ रहा प्लास्टिक का उपयोग से जैव विविधता पर सीधा
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: पर्वतीय क्षेत्रों में बड़ रहा प्लास्टिक का उपयोग से जैव विविधता पर सीधा असर पड़ रहा है। यही हाल रहा तो इसका असर मानव को ही झेलना पड़ेगा।
यह बात जीआईसी तेजम के प्रधानाचार्य मोहन पाठक ने द एक्सीलेंस फाउंडेशन स्कूल बिण में आयोजित एक दिवसीय गोष्ठी में कही। घटती जैव विविधता की एक वजह प्लास्टिक प्रदूषण भी विषय पर आयोजित गोष्ठी में प्रधानाचार्य पाठक ने कहा कि मानव की सुविधा के लिए किया गया प्लास्टिक का आविष्कार आज मानव जीवन, जीव जंतुओं के साथ-साथ पृथ्वी के वातावरण के लिए हानिकारक हो गया है। प्लास्टिक प्रदूषण से प्रकृति में चलने वाली खाद्य श्रंखला और खाद्य जाल प्रभावित हो रहे हैं, इसे अनेक रोग पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीव- जंतु, वनस्पतियों के साथ ही अन्य जैविक और अजैविक घटक भी प्लास्टिक प्रदूषण से प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को भी सचेत होने की जरूरत है। प्लास्टिक के टिफिन की जगह स्टील के टिफिन उपयोग किए जाए। पॉलीथिन बैग के स्थान पर कपड़े के बैग उपयोग में लाए जाए। विद्यालय की निदेशक निर्मला भट्ट और प्रधानाचार्य बबीता राय ने उन्होंने कहा कि इस गंभीर मसले पर अधिक से अधिक लोगों को जागरू क किए जाने की जरूरत है। गोष्ठी में ऋचा भट्ट, रेनू शर्मा, ऋचा चंद, मानसी गोस्वामी, मीनाक्षी रावत सहित तमाम अभिभावक मौजूद थे। इससे पूर्व गोष्ठी की शुरू आत रिबन काटने की जगह पौध लगाकर की गई। आयोजकों ने इस तरह के कार्यक्रमों की शुरू आत पौधरोपण से करने का आह्वान किया।