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दो रोटी कम खाएंगे, अपने गांव को बसाएंगे

पिथौरागढ़ के दूरस्थ गांवों में लॉकडाउन के दौरान लौटे युवा अब अपने ही क्षेत्र में स्वरोजगार करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 11:15 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 06:19 AM (IST)
दो रोटी कम खाएंगे, अपने गांव को बसाएंगे
दो रोटी कम खाएंगे, अपने गांव को बसाएंगे

पिथौरागढ़, जेएनएन : रोजगार की चाह में घर से सैकड़ों किमी दूर अन्य राज्यों में छोटी मोटी नौकरी करने वाले तमाम मुश्किलों को झेल कर अपने घर लौटे युवा अब गांव, घर में ही रोजगार करने की बात कह रहे हैं। युवा दो रोटी कम खाकर गांव को बसाने और गांव के पुराने स्वरू प को वापस लौटाने का दावा कर रहे हैं।

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मुनस्यारी से छह किमी दूर हरकोट गांव के तोक मालूपाती, रीठा और तल्ला हरकोट के पुणे, गुजरात से 27 युवा गांव लौटे हैं। जिसमें कुछ प्राथमिक विद्यालय मालूपाती में क्वारंटाइन में हैं तो चार, पांच युवकों ने गांव में ही होम क्वारंटाइन की अवधि पूरी कर ली है। गुजरात और पुणे से अपने घर पहुंचने की याद करते ही सिहर रहे हैं और रोजगार के लिए अब बाहर निकलने से सीधे मना कर रहे हैं। पुणे से पत्नी मंजू के साथ लौटे भवान सिंह, गुजरात से लौटे मनोज गिरि, संजय और सुरेंद्र मेहरा बताते हैं कि पुणे और गुजरात से घर तक लौटना एक युद्ध जीतने जैसा रहा। कई फजीहतें झेलनी पड़ी। गांव पहुंचने के बाद ही सुकून मिला।

वापस लौटे युवा कहते हैं कि अब गांव में ही रोजगार के बारे में सोचेंगे। पैतृक कार्य को आगे बढ़ाने, खेतीबाड़ी, पशुपालन, दूध और सब्जी उत्पादन करने का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार उनके हुनर के अनुसार उन्हें कार्य करने में मदद करे तो वह क्षेत्र में ही अपना कार्य करेंगे। अब गांव आबाद करेंगे। सभी युवाओं का कहना है कि रोजगार मिले तो कोई भी गांव छोड़ कर नहीं जाना चाहता है। हरकोट गांव से ही मुनस्यारी में दूध और सब्जी की आपूर्ति होती है। ============= मालूपाती गांव में खुशी की लहर हरकोट के छोटा से तोक मालूपाती गांव में युवाओं के लौटने से गांव में खुशी का माहौल है। इस गांव के सारे युवा रोजगार के लिए बाहर चले गए थे। बीते दिनों में गांव के एक व्यक्ति के बीमार पड़ने पर उसे सड़क तक डोली से पहुंचाने के लिए निकट के चौना गांव के ग्रामीणों से मदद मांगी थी। अलबत्ता युवाओं के माता, पिता उनके रोजगार को लेकर चिंता जता रहे हैं। युवाओं ने गांव लौटने के बाद क्वारंटाइन की व्यवस्था और मिल रहे सहयोग के लिए ग्राम प्रधान का आभार जताया। ========= बाहरी राज्यों से गांवों को युवाओं के वापस लौटने से सभी खुश हैं। यह गांव के लिए सौभाग्य है। गांवों के बचने के आसार नजर आ रहे हैं। अब इन लोगों के रोजगार के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। युवाओं को यदि गांव में ही रोककर उद्यम मिल जाए तो एक बार फिर गांवों की दशा सुधर जाएगी।

- हेमा मेहरा, ग्राम प्रधान, हरकोट


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