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चार किमी दूर से पानी ढो रहे हैं खेतीखान के ग्रामीण

तहसील बंगापानी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अब पेयजल संकट बना हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 10:48 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 10:48 PM (IST)
चार किमी दूर से पानी ढो रहे हैं खेतीखान के ग्रामीण
चार किमी दूर से पानी ढो रहे हैं खेतीखान के ग्रामीण

संवाद सूत्र, बरम (पिथौरागढ़): तहसील बंगापानी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अब पेयजल संकट बना हुआ है। जलस्रोतों और पाइप लाइनों के बहने के कारण ग्रामीणों को पीने के पानी के लाले पड़ रहे हैं। मेतली ग्राम पंचायत के खेतीखान के ग्रामीण चार किमी दूर से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं।

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मेतली क्षेत्र बीते वर्ष मानसून काल में आपदा का शिकार बना। इस क्षेत्र में आपदा ने कहर बरपाया। मानसून काल के तीन माह ग्रामीणों ने राहत शिविर में दिन व्यतीत किए। सड़क से 12 किमी की दूरी पर स्थित मेतली गांव के ग्रामीणों के सम्मुख गंभीर संकट बना है। गांव के किसी के बीमार पड़ने पर डोली से बारह किमी दूर सड़क तक लाया जाता है। गांव के बच्चों को पढ़ने के लिए भी यह दूरी तय करनी पड़ती है। मानसून काल की आपदा के मंजर अभी डराते हैं।

ग्रीष्मकाल में गांव में पेयजल संकट विकराल हो चुका है। गांव के आसपास के जलस्रोत सूख चुके हैं। मेतली ग्राम पंचायत के खेतीखान तोक में स्थिति खराब हो चुकी है। गांव से चार किमी दूर एक स्रोत बचा है। इसी स्रोत से ग्रामीण पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि उनका सारा दिन केवल पानी जुटाने में बीत जाता है। पानी लाने के लिए आठ किमी प्रतिदिन चलना पड़ रहा है। ========= क्या कहते हैं ग्रामीण गांव के बुजुर्ग लक्ष्मण सिंह का कहना है कि ग्रामीणों की समस्या को कोई देखने सुनने वाला नहीं है। मानसून काल में आपदा से त्रस्त किया और अब पीने को पानी नहीं है। रोज आठ किमी चल कर पानी मिल रहा है। भगत सिंह का कहना है कि ग्रामीण परेशान हैं। बीते वर्ष की आपदा ने डराया था। अब मानसून काल दूर नहीं है। इससे पूर्व पेयजल से ग्रामीण परेशान हैं। ग्रामीण तारा सिंह और खिला देवी बताते हैं कि सुबह से लेकर दोपहर तक का समय पानी जुटाने में बीत रहा है। ग्रामीण काश्तकार हैं उनके पालतू जानवर हैं। चार किमी दूर से पानी लाना पड़ रहा है। गांव के सभी दो दर्जन परिवार परेशान हैं।


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