रातोंरात सड़क काटे जाने से ग्रामीण खफा, गांव पहुंचे तहसीलदार
ठेकेदार द्वारा रातोंरात सड़क काटने का ग्रामीणों ने विरोध किया है।
संवाद सूत्र, झूलाघाट: काली नदी में मानसून काल में आए रेता-बजरी को निकालने वाले ठेकेदार द्वारा पातल से काली नदी किनारे तक रातोंरात सड़क काटे जाने से ग्रामीण आक्रोशित हो गए। इसके विरोध में ग्रामीणों के पंचायत घर में जमा होते ही थाना पुलिस ने खुद संज्ञान लेते हुए प्रशासन को सूचना दी। एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार ने मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया।
रिवर चैनल के लिए सरकार द्वारा रेता-बजरी उठाने का ठेका दिया गया है। रिवर चैनल के तहत निकली रेता बजरी को काली नदी किनारे से उठाने के लिए ठेकेदार द्वारा मंगलवार की रात्रि कानड़ी-बलतड़ी मार्ग पर पातल के पास से काली नदी किनारे तक खेतों के बीच रोड काट दी। बुधवार सुबह जब ग्रामीणों ने खेतों के बीच सड़क देखी तो कुछ ग्रामीण नाराज हो गए। विरोध के लिए पंचायत घर में जमा हो गए।
यह सूचना पुलिस थाना झूलाघाट को मिली तो थानाध्यक्ष तारा सिंह राणा ने स्थिति को भांपते हुए सूचना तहसील प्रशासन को दी। एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार पंकज चंदोला मौके पर पहुंचे। बुधवार देर सायं तक इस मामले की जांच की और ग्रामीणों से वार्ता की। इसका विरोध गांव के कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा है, इन लोगों द्वारा भी अपने स्तर से शिकायत नहीं की गई है। गांव के पूर्व प्रधान लक्ष्मण चंद ने कहा कि पातल से नदी किनारे तक सड़क में जिन ग्रामीणों के खेत काटे गए हैं उनके और ठेकेदार के बीच सहमति बनी है।
दूसरी तरफ आपत्ति करने वाले ग्रामीणों ने तहसीलदार के सम्मुख अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह सड़क बिना प्रशासन की अनुमति से काटी गई है। ग्रामीणों ने इस मामले की जांच की मांग उठाई। तहसीलदार पंकज चंदोला ने बताया कि ग्रामीणों की शिकायत डीएम और एसडीएम के सम्मुख रखी जाएगी। जिलाधिकारी के आदेश पर ही कार्यवाही होगी। =======
गांव के युवा बेरोजगार हताश रीवर चैनल के तहत निकले रेता-बजरी, बोल्डर को सड़क तक ढोने की आस जगाए गांव के युवा और बेरोजगार परेशान हैं। कुछ युवा बेरोजगारों द्वारा बैंक से ऋण लेकर घोड़े, खच्चर और पिकअप वाहन खरीदे गए थे। अब खनन स्थल तक सड़क काटे जाने से सामग्री स्थल से ही बड़े वाहनों से गंतव्य को चली जाएगी। अपने गांव की सीमा में रिवर चैनल का कार्य चलने के बाद भी रोजगार नहीं मिलने से युवा बेरोजगारों में मायूसी छा गई है। इधर ठेकेदार ने गांव के युवाओं को रोजगार देने का आश्वासन दिया है। तब जाकर युवा बेरोजगारों का आक्रोश थमा है।