ढाई किमी दूर सामान ढोने का भाड़ा ढाई सौ रु पया
पिथौरागढ़ में आपदा प्रभावित गांवों में हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
संवाद सूत्र, मदकोट (पिथौरागढ़): आपदा प्रभावित गांवों में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अभाव के बीच जिंदगी टेंटों में गुजर रही है। सैंतीस दिनों से बंद मार्ग नहीं खुलने का परिणाम मुनस्यारी का जोशा गांव भुगत रहा है। लॉकडाउन के दौरान मिला राशन भी समाप्त हो गया है। अब ग्रामीणों को राशन से अधिक राशन के ढुलान का खर्च वहन करना पड़ रहा है।
जोशा गांव का बाजार मदकोट है। मदकोट से जोशा तक लगभग छह किमी लंबी सड़क है। गांव से सीधे ढलान में उतरने पर मदकोट से जोशा गांव की दूरी लगभग ढाई किमी है। यह ढलान मलबे से पटा है। मदकोट से ढाई किमी की चढ़ाई चढ़कर मलबे के बीच चलना ग्रामीणों के लिए संभव नहीं है। मदकोट से राशन व अन्य सामान केवल घोड़े खच्चरों से ही ढोना संभव है। ढाई किमी पैदल मार्ग का नामोनिशान नहीं है। इसी मार्ग से घोड़े खच्चरों से सामान ढोया जा रहा है। यहां पर ढाई किमी मार्ग पर सामान ढोने का भाड़ा ढाई सौ रु पया क्विंटल लिया जा रहा है। ग्रामीणों को सामान के मूल्य से अधिक भाड़ा देना पड़ रहा है। गांव के अधिकांश परिवार गरीब हैं, जिनके लिए राशन सहित अन्य सामान खरीदना ही चुनौती बना है, ऐसे में घोड़े, खच्चरों से ढोकर सामान ले जाना संभव नहीं है। शीघ्र ही मार्ग नहीं खुला तो जोशा गांव में भुखमरी की नौबत के आसार बने हैं।
गांव में छह परिवारों के मकान टूट गए थे जो टेंटों में रह रहे हैं। गांव में हुए भारी भूस्खलन से बीस मकान खतरे में हैं। गांव के निकट पहाड़ी से हो रहे भूस्खलन से गांव के अन्य मकान भी खतरे में है। ग्रामीणों के खेत मय फसल के बह चुके हैं। गांव के लिए मार्ग नहीं खुलने से गांव तक मदद भी नहीं पहुंच पा रही है।