1857 की क्रांति के शहीद क्रांतिकारियों को दी गई श्रद्धांजलि
देश की आजादी के लिए 10 मई 1857 को मेरठ से शुरू हुई ऐतिहासिक क्रांति की वर्षगांठ बनाई गई।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: देश की आजादी के लिए 10 मई 1857 को मेरठ से शुरू हुई ऐतिहासिक क्रांति की 166वीं वर्षगांठ पर वीर शहीदों को याद किया गया। इस मौके पर हवन कर शहीद क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी गई।
मंगलवार को नगर के नेड़ा स्थित भारती सदन में सामाजिक चितक डा. तारा सिंह के नेतृत्व में प्रात: हवन यज्ञ कर देश की आजादी में शहीदों के बलिदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इस दौरान हुई गोष्ठी में डा. सिंह ने कहा कि मेरठ छावनी 10 मई 1857 के दिन गोलियों की आवाज से गूंज उठी। 20वीं देशी पैदल सेना के एक सैनिक ने कर्नल फिनिश पर गोली चलाकर स्वतंत्रता संग्राम की ज्योति जलाई। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक 10 मई के दिन देश में राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाना चाहिए, लेकिन अकबर को महान, गांधी की अहिसा व अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली की भक्ति में क्रांतिकारियों को दबा दिया गया। उनके बलिदान की अनदेखी की गई। हालांकि अमृत महोत्सव के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का निर्णय लेकर अवश्य कुछ नया किया है। उन्होंने कहा कि पंजाब के अजनाला कस्बे के गुरुद्वारे के पास एक कुंए में जो 200 सैनिकों के नर कंकाल मिले हैं, वह भी जांच में 1857 की क्रांति के शहीदों का माना जा रहा है। 1857 की क्रांति की ही बदौलत हमारा देश आजाद हुआ। शहीदों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। गोष्ठी में केदार सिंह, मयंक शर्मा, निर्मला मेहरा, नीरज, गौरव बिष्ट, सुनीता ओली, वंदना बसनायत, ध्रुव सिंह, कमला बिष्ट, भावना ततराड़ी, मंगल सिंह, जानकी खड़ायत, मेघा आदि मौजूद रहे।