Move to Jagran APP

ट्यूलिप गार्डन में महकेगी हॉलैंड की खुशबू, 30 जनवरी को हॉलैंड से पहुंचेगी ट्यूलिप फूलों की तीस हजार पौध

प्रदेश का पहला ट्यूलिप गार्डन पिथौरागढ़ में बनाया जाएगा। इसके लिए तीस हजार पौध हॉलैंड से मंगाई गई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 10:51 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 06:16 AM (IST)
ट्यूलिप गार्डन में महकेगी हॉलैंड की खुशबू, 30 जनवरी को हॉलैंड से पहुंचेगी ट्यूलिप फूलों की तीस हजार पौध
ट्यूलिप गार्डन में महकेगी हॉलैंड की खुशबू, 30 जनवरी को हॉलैंड से पहुंचेगी ट्यूलिप फूलों की तीस हजार पौध

पिथौरागढ़, जेएनएन : प्रदेश का पहला ट्यूलिप गार्डन पिथौरागढ़ में बनाया जाएगा। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। मोस्टामानू क्षेत्र में प्रस्तावित गार्डन के लिए उद्यान विभाग 30 जनवरी को हॉलैंड से ट्यूलिप पौध की पहली खेप मंगाएगा। एक फरवरी को पौधे रोप जाएंगे।

loksabha election banner

पूरे उत्तराखंड में अभी कहीं ट्यूलिप गार्डन नहीं है। दिवंगत वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने मोस्टामानू के निकट ट्यूलिप गार्डन बनाने की योजना तैयार की थी। पूर्व में इसे वन विभाग के माध्यम से धरातल पर उतारने की योजना थी। बाद में इसकी जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को सौंप दी गई।

एक हेक्टेयर भूमि में बनने वाले गार्डन के लिए ट्यूलिप की पौध हॉलैंड से मंगाई जा रही हैं। दिसंबर माह में 30 हजार पौध की डिमांड केंद्र सरकार के माध्यम से हॉलैंड भेजी गई थी। ऐसे में पहली खेप 30 जनवरी तक पिथौरागढ़ पहुंच जाएगी। इसके बाद यह गार्डन पर्यटकों को लुभाएगा। यहां से वे हिमालय का विहंगम दृश्य देख सकेंगे। इस स्थान पर दूरबीन लगाने और पर्यटक हट बनाने की भी योजना है।

============ ट्यूलिप की खासियत

-यह एशिया महाद्वीप में बहुतायत में पाया जाता है। पहाड़ी इलाको में ट्यूलिप ज्यादा पनपता है। यह मूल रूप से तुर्की का पौधा है लेकिन इसकी उत्पत्ति हिमालय क्षेत्र में मानी जाती है। -इसकी 150 से अधिक प्रजातियां होती हैं। अगर ट्यूलिप की किस्मों की बात करें तो ये 3000 हजार से भी ज्यादा हैं।

-ज्यादातर ट्यूलिप प्रजाति में एक टहनी में केवल एक ही फूल होता है, लेकिन इसकी कुछ प्रजाति में एक से ज्यादा भी फूल होते हैं। फूल की आकृति कप के समान होती है जिसमे छह पंखुड़िया होती हैं।

-ट्यूलिप का पौधा तीन से सात इंच का लंबा होता है।

-फूल सूर्य की दिशा में मुड़ता और झुकता है। इस फूल को खिलने के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है।

-यह लिली फैमिली का माना जाता है। प्याज से भी इसका करीबी रिश्ता है।

दुनिया में मिलते हैं चार हजार प्रकार के ट्यूलिप फूल पिथौरागढ़: अपनी खूबसूरती के लिए पहचाने जाने वाले ट्यूलिप फूल की दुनिया में चार हजार प्रजातियां हैं। इसका मूल स्थान टर्की माना जाता है जहां से यह दुनिया भर में फैला। होलैंड से इंग्लैंड पहुंचने के बाद ट्यूलिप भारत पहुंचा। ट्यूलिप ईरानी भाषा का शब्द है। जिसका अर्थ होता है पगड़ी। इस फूल को उल्टा कर देन पर यह पगड़ीनुमा दिखाई देता है। ट्यूलिप का वनस्पातिक कुल लिलिससई है। भारत में यह कश्मीर से लेकर उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के हिमालयी राज्यों में मिलता है। 1500 मीटर से लेकर 2500 मीटर तक की ऊंचाई इसके लिए सबसे मुफीद मानी जाती है। भारत के जम्मू कश्मीर के शालीमार बाग की खास पहचान ट्यूलिप के फूल ही हैं। यह फूल बसंत ऋतु में खिलता है। ==========

चयनित भूमि को पौधे रोपने के लिए तैयार कर लिया गया है। हॉलैंड से ट्यूलिप पौध की पहली खेप 30 जनवरी को पहुंच जाएगी।

-आरएस वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी, पिथौरागढ़


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.