गेहूं के खेतों तक पहुंची जंगल की आग, ग्रामीणों ने मुश्किल से पाया आग पर काबू
बारिश नहीं होने से अब जिले में जंगल की आग बेकाबू होने लगी है।
जागरण टीम, पिथौरागढ़/बेरीनाग : बारिश नहीं होने से अब जिले में जंगल की आग बेकाबू होने लगी है। गांवों की जद पहुंच चुकी आग को लेकर ग्रामीण परेशान हैं। बेरीनाग के बुडेरा ग्राम पंचायत के तीन तोकों में जंगल की आग गेहूं के खेतों तक पहुंच चुकी है जिसे लेकर काश्तकारों में हड़कंप मचा है।
बेरीनाग तहसील के बुडेरा गांव के चारों तरफ जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। गुरु वार को जंगल की आग हवा चलने से फैल गई। बुडेरा गांव के विरतोला, गडेरा और मानीखेत तोक के गेहूं के खेतों तक पहुंच गई । इस समय गेहूं की फसल तैयार है। ग्रामीण खेतों में फसल बचाने में जुट गए। घंटों की मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने खेतों में फसल को जलने से बचाया।
इसी दौरान रात को मानीखेत निवासी कौस्तभ पंत के घास के दो लूटे भी जल गए। देर रात को फिर से ग्रामीण आग बुझाने में जुट गए। आग गांव के करीब तक पहुंच चुकी थी। गांव के भूपेंद्र साही, भरत बिष्ट, महेश बिष्ट, हेम बिष्ट आनंद महरा सहित अन्य ग्रामीण मध्य रात्रि तक आग बुझाने में जुटे रहे। वहीं आग की दृष्टि से बेरीनाग वन क्षेत्र का सबसे संवेदनशील हजेती के जंगल में आग बेकाबू हो चुकी है। जिस गति से आग लग रही है उससे भारी वन संपदा के नष्ट होने के आसार बने हैं। वन विभाग के दावे सारे फेल हो चुके हैं। जंगलों में लगी आग बुझाने के लिए कहीं पर भी वन कर्मी नजर नहीं आ रहे हैं। ===========
वन्य जीव खतरे में जंगलों की आग से वन्य जीवों का जीवन पूरी तरह संकट में आ चुका है। हजेती के जंगल में गुलदार, साही, खरगोश, कांकड़, घुरड़ सहित अन्य वन्य जीव निवास करते हैं। जंगल में लगी आग से इन जीवों के लिए जीवन रक्षा करना चुनौती बन चुका है। मानव बस्तियों की तरफ रू ख करने पर इनके शिकार की संभावना बनी रहती है। आग जिस तेजी के साथ फैल रही है उसे देखते हजेती से सटे चौड़ी पत्ती वाले वन भी अछूते नहीं रह गए हैं। ========== चंडाक से लेकर थलकेदार तक के जंगल धधक रहे जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ के चारों तरफ फैले जंगल धू -धू कर जल रहे हैं। चंडाक, सिलपाटा, मड़, कनारी पाभै से लेकर थलकेदार के जंगलों में आग लगी है। दिन भर इन जंगलों से धुआ निकलता है तो रात को आग की लपटें नजर आती हैं। धारचूला, बंगापानी और मुनस्यारी के जंगल भी आग की चपेट में हैं। इस वर्ष अप्रैल माह में हवा चलने से जंगल की आग अधिक फैल रही है।