जंगल की आग बुझाने वाले हुड़ेती के नौ युवाओं को वन विभाग ने किया सम्मान
पिथौरागढ़ से लगे जीआइसी-सुकौली रोड में स्थित हुड़ेती-पौंण वन पंचायत के जंगलों को बचाने वाले युवाओं का सम्मान किया गया।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: नगर से लगे जीआइसी-सुकौली रोड में स्थित हुड़ेती-पौंण वन पंचायत के जंगल में लगी आग पर नियंत्रण करने वाले हुड़ेती गांव के नौ युवाओं को वन विभाग की ओर से सम्मानित किया गया। विभागीय अधिकारियों ने युवाओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने आग पर काबू पाने के लिए जिस तरह से वन रक्षक की भूमिका निभाई, वह निश्चित रू प से अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है।
शुक्रवार वन विभाग के डाफिया सभागार में सामाजिक कार्यकर्ता जुगल किशोर पांडे की पहल पर प्रभागीय वनाधिकारी डा. विनय कुमार भार्गव के निर्देशन में आयोजित समारोह में कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए उपप्रभागीय वनाधिकारी नवीन चंद्र पंत ने युवाओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हुड़ेती गांव के युवाओं ने बीते दिनों कौशल्या मंदिर परिसर के जंगल में लगी आग पर अपनी जान की परवाह किए बगैर उसे नियंत्रण करने में सराहनीय योगदान दिया। उन्होंने युवाओं से अपने आसपास के लोगों को जंगलों में आग न लगाने के लिए जागरू क करने की बात कही। वन क्षेत्राधिकारी दिनेश चंद्र जोशी ने युवाओं के जज्बे की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के प्रयासों से ही वनाग्नि की घटनाओं पर रोक लग सकती है। ======= इन्हें मिला सम्मान
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रजत उप्रेती, पंकज उप्रेती, निर्मल उप्रेती, शुभम उप्रेती, हर्षित उप्रेती, कमल किशोर उप्रेती, शुभम कोहली, पंकज जोशी, रोहित जोशी। ============ मंदिर परिसर में चहारदीवारी लगाने की मांग
समारोह के बाद हुड़ेती के युवाओं ने कौशल्या मंदिर परिसर के जंगल में चहारदीवारी का निर्माण किए जाने की मांग रखी। युवाओं ने कहा कि कौशल्या देवी मंदिर एक धार्मिक स्थल होने के साथ ही पर्यटन स्थल भी है। इस मंदिर परिसर के जंगल के चारों ओर प्राकृतिक स्रोत हैं। ग्रामीणों द्वारा जंगल में समय-समय पर पौधारोपण भी किए जाते हैं, मगर उनकी सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं होने से पौधों को क्षति पहुंच रही है। क्षेत्र में कुछ अराजक तत्वों द्वारा भी ग्रामीणों की मेहनत पर पानी फेरने का काम किया जा रहा है। जिसे देखते हुए मंदिर परिसर के आसपास चाहरदीवारी का निर्माण किया जाना अत्यंत आवश्यक है।