Move to Jagran APP

पिथौरागढ़ में मौत के पुलों से बंधी जिंदगी की डोर

सीमांत जिला पिथौरागढ़ के अधिकांश पुल जर्जर होने के कारण यात्रियों के लिए खतरनाक बन गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 10:33 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 10:33 PM (IST)
पिथौरागढ़ में मौत के पुलों से बंधी जिंदगी की डोर

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : सीमांत में पुल और पुलिया ही लाइफ लाइन हैं। जिले के एक चौथाई हिस्से की लाइफ लाइन कटी हुई है। दो मोटर पुल खतरे में हैं तो तीस से अधिक स्थानों पर ग्रामीणों के श्रमदान से बने असुरक्षित पुल और पुलिया भी मौत को आमंत्रण दे रहे हैं। मौत के इन पुलों से जिले के हजारों लोगों की जिंदगी बंधी हुई है, जो इनसे प्रतिदिन आवाजाही करते हैं। इनमें स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। तीन साल बाद बमुश्किल गणाईगंगोली में कुलूर नदी पर ध्वस्त पुल का निर्माण हो रहा है। महत्वपूर्ण अस्कोट-कर्णप्रयाग मार्ग पर थल में रामगंगा नदी का पुल कांप रहा है। थल-मुनस्यारी मार्ग पर नाचनी में भुजगड़ पुल की आधार दीवार धंस रही है। धारचूला, मुनस्यारी तहसीलों में दो दर्जन से अधिक अस्थायी पुलों से रोज सैकड़ों लोग आवाजाही कर रहे हैं।

loksabha election banner

नाचनी : रामगंगा नदी यहां पर बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले की सीमा है। बागेश्वर के चार गांवों के बच्चे नर्सरी से लेकर इंटर तक की पढ़ाई के लिए रामगंगा नदी के दूसरी तरफ नाचनी आते हैं। 11 जुलाई 2018को बादल फटने से विशाल झूला पुल बह गया था। इसके बाद ग्रामीणों की आवाजाही के लिए गरारी लगाई गई। सरकार को अभी भी यहां पुल निर्माण की सुध नहीं आई है। पर्यटन सीजन करीब है। जिले के सबसे प्रमुख मार्ग थल-मुनस्यारी मार्ग में भुजगड़ नदी का पुल खतरे में है। पुल के एक तरफ की आधार दीवार धंस रही है। चट्टान दरक रही है । कांपते पुल पर चलते हैं वाहन

थल : अस्कोट-कर्णप्रयाग मोटर मार्ग में थल में रामगंगा नदी पर बना मोटर पुल विगत लंबे समय से कांप रहा है। वर्ष 1962 में बना यह मोटर पुल अब जर्जर हालत में पहुंच चुका है। भारी वाहन चलते ही पुल कांपता है। पुल में बिछा सीमेंट घिसने के बाद सरिया नजर आने लगी है। कभी भी हादसा हो सकता है। पुल पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। मात्र चेतावनी बोर्डभर लगा दिया गया है। यह पुल सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। यही पुल इस क्षेत्र से चीन सीमा को जोड़ता है। धारचूला, मुनस्यारी में दो दर्जन स्थानों पर हैं अस्थायी पुल और पुलिया

धारचूला/मुनस्यारी: धारचूला और मुनस्यारी में अभी भी सैकड़ों गांवों की लाइफ लाइन पुल और पुलिया हैं। प्रतिवर्ष आपदा में पुल और पुलिया बह जाते हैं। मानसून काल में वर्षों पूर्व बह चुके पुलों के स्थान पर पक्के पुल नहीं बनने से लट्ठों पर बने जानलेवा पुलों से लोग चलने को मजबूर हैं।

---

तीन साल पूर्व कुलूर नदी का पुल टूटने से हुई थी दो मौत तीन साल पूर्व सेराघाट के निकट कुलूर नदी पर बना नवनिर्मित पुल दो भार वाहक वाहनों के एक साथ गुजरने के दौरान टूट गया। इस दौरान पुल से गुजर रही बाइक पर सवार दो लोगों की मौत हो गई थी। जबकि ट्रक चालकों सहित तीन लोग घायल हो गए थे। तीन साल बाद पुल का पुनर्निर्माण का कार्य चल रहा है। पुल टूटने से दस गांवों का संपर्क भंग रहा। आवाजाही के लिए यहां पर भी ट्राली लगाई गई है। बीते वर्ष बीआरओ के तवाघाट पुल से जब मशीन को लेकर ट्राली गुजर रही थी, वह भी टूट गया था। ट्राली व मशीन धौली नदी में गिर गए थे, जबकि चालक को चोट आई थी। इस तरह की जिले में अन्य स्थानों पर भी घटना हुई हैं। मुनस्यारी और धारचूला में खतरनाक बने पुल मुनस्यारी -

स्थान पुल , पुलिया की संख्या

- हरकोट------- तीन

- बनियागांव - नमजला -- दो

- सुरिग ---- ------तीन

- भराड़ीखोल्टा --- -- सात

- दराती - सेरा ------ एक

- दराती - सुरईधार - --एक

- तांगा ----------- दो

- लिंगुरानी --------- एक धारचूला ---

हिमखोला ---------- एक

सिमखोला ----------- एक

छलमाछिलासो -------- एक

खुम्ती ------------- एक

रमतोली----------- सात वर्जन

थल मोटर पुल के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसके तहत पुल की मरम्मत होनी है। पुल पर एक साथ दोनों तरफ से भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है। नाचनी में भी रामगंगा नदी पर पुल निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

-जगदीश प्रसाद अधिशासी अभियंता , लोनिवि डीडीहाट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.