दो चालकों और दो बेलदारों की मेहनत से खुला थल-मुनस्यारी मार्ग, तीन मार्ग अभी भी बंद
छह दिन बाद धूप खिलने से सीमांतवासियों को राहत मिली है।
जाटी, पिथौरागढ़/ मुनस्यारी/धारचूला: छह दिन बाद धूप खिलने से सीमांतवासियों को राहत मिली है। हिमनगरी मुनस्यारी सहित ध्वज, थलकेदार, असुरचुला, डीडीहाट के सानदेव, सिराकोट की चोटियों पर भी हल्का हिमपात हुआ। थल-मुनस्यारी मार्ग यातायात के लिए खुल चुका है। लोक निर्माण विभाग के दो चालक और दो बेलदारों ने सात घंटे भूखे प्यासे रह कर सड़क से बर्फ हटा कर मार्ग खोला। मार्ग बंद होने से मायूस पर्यटकों के चेहरे भी खिले और अपने घरों को लौटे। लिपुलेख, दारमा और सिर्खा मार्ग अभी थी बंद हैं।
हिमनगरी मुनस्यारी में मंगलवार और बुधवार को बर्फबारी हुई। रातापानी से लेकर मुनस्यारी तक भारी बर्फबारी से मार्ग बंद था। मुनस्यारी पहुंचे दिल्ली, मुरादाबाद, गाजियाबाद व उत्तराखंड के भी पर्यटक मार्ग बंद होने से मायूस थे। उन्हें गुरुवार को लौटना था। मार्ग बंद होने से उनका लौट पाना संभव नहीं हो रहा था। जिसके चलते उनमें मायूसी छाई थी। लोनिवि के लिए बर्फ हटाकर मार्ग खोलने की चुनौती थी। लोनिवि के रोबोट स्नो कटर चालक सुंदर सिंह, ट्रक चालक सुरेंद्र सिंह, बेलदार ललित सिंह और गोकुल सिंह ने मार्ग खोलने का बीड़ा उठाया।
चारों ने कालामुनि से पातलथौड़ के बीच दो से तीन फीट तक जमी बर्फ हटाने का कार्य किया। चारों सात घंटे तक भूखे-प्यासे बर्फ हटाने में जुटे रहे। 60 के आसपास वाहन पास हुए। इस दौरान मार्ग बंद होने से वापस लौटने की संभावना नजर नहीं आने से मायूस पर्यटक भी परेशान रहे। मार्ग खुलने पर पर्यटकों में खुशी छा गई। मार्ग खोलने में चालकों, बेलदारों के अलावा ईको पार्क के कर्मियों ने सहयोग दिया। पर्यटकों ने मार्ग खोलने वालों का आभार जताया।
उधर धारचूला में भारी बर्फबारी से बंद कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग, सोबला-दारमा मार्ग, सिर्खा मार्ग अभी भी बंद हैं। अलबत्ता धूप खिलने से लोगों को राहत मिली है। गुरुवार सुबह मौसम खुला रहा, परंतु घना कोहरा छाए रहने से कड़ाके की ठंड रही। दोपहर के आसपास कोहरा छटने से धूप खिली।