4500 हेक्टेयर वनों की सुरक्षा तीन कर्मचारियों के भरोसे
संवाद सूत्र, मदकोट: वन विभाग में कर्मचारियों की कमी वनों की सुरक्षा पर भारी पड़ रही है। खासक
संवाद सूत्र, मदकोट: वन विभाग में कर्मचारियों की कमी वनों की सुरक्षा पर भारी पड़ रही है। खासकर सीमांत क्षेत्र के जंगलों में। मुनस्यारी क्षेत्र के अंतर्गत 1500 हेक्टेयर जंगल की जिम्मेदारी एक कर्मचारी के भरोसे है। पूरा जंगल करीब 4500 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
जैव विविधता के मामले में बेहद संपन्न इस जंगल में कीड़ा जड़ी सहित तमाम प्रकार की जड़ी बूटियां मिलती है। इन जड़ी बूटियों के अवैध विदोहन के लिए भारत ही नहीं नेपाल से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं और महीनों तक जंगलों में डेरा डाले रखते हैं। कई बार इन जंगलों में अवैध शिकार की शिकायतें भी आती हैं। जंगली जानवरों को घेरने के लिए जंगल के बड़े हिस्से में आग लगाने की शिकारियों की रणनीति को वन विभाग विफल नहीं कर पाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह कर्मचारियों का टोटा है। सेराघाट से गोल्फा तक के 4500 हेक्टेयर जंगल को तीन अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा गया है। 1500 हेक्टेयर जंगल की जिम्मेदारी एक कर्मचारी पर है। इन कर्मचारियों के पास न वाहन की सुविधा है और नहीं आधुनिक किस्म के हथियार। जंगलों में खतरनाक जंगली जानवरों से खुद को बचाने के कोई अन्य इंतजाम भी विभाग की ओर से नहीं किए गए हैं। इन क्षेत्रों में तैनात कर्मचारी अगर पूरा जंगल के निरीक्षण को निकले तो इसमें पूरा महीना निकल जाए। ऐसे में जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था का अंदाज लगाया जा सकता है।