मानकों की धज्जियां उड़ाकर नदी तट तक बना दी सड़क
रामेश्वर घाट में चल रहे खनन को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : रामेश्वर घाट में चल रहे खनन को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। खनन के लिए नदी तट तक सड़क बना दिए जाने पर राज्य आंदोलनकारी भी भड़क गए हैं। राज्य आंदोलनकारियों ने पर्यावरण मानकों का हवाला देकर नदी तट तक सड़क बनाए जाने के मामले की जांच की मांग उठा दी है। इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया है।
राज्य आंदोलनकारी गोपू महर ने कहा है कि घाट क्षेत्र में मनमाने ढंग से खनन कार्य चल रहा है। खनन सामग्री निकालने के लिए पोकलेन, लोडर मशीन जैसी भारी मशीनें लगाई जा रही हैं, जबकि सरकार की ओर से बनाई गई नीति में स्पष्ट प्राविधान है कि नदी तट में भारी मशीनों का उपयोग किसी भी दशा में न किया जाए। पर्यावरण और वन मानकों को दरकिनार कर नदी तट तक सड़क बना दी गई है। जबकि नदी क्षेत्र के अंतर्गत की भूमि वन भूमि की श्रेणी में है और इसमें किसी तरह के गैर वानिकी कार्य पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। ग्रामीण स्थानीय प्रशासन को पूरे मामले की जानकारी दे चुके हैं, लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से घाट क्षेत्र में हो रही मनमानी पर रोक लगाने के लिए कोई पहल नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अब इस मामले को मुख्यमंत्री तक ले जाया जाएगा। इधर प्रशासन का कहना है कि नदी तट पर नियमों के विपरीत कार्य होने पर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। ===== नदी तट तक बनाई जा रही सड़क का काम प्रदर्शन कर महिलाओं ने रुकवाया पिथौरागढ़ के रामेश्वर घाट क्षेत्र में खनन के लिए नदी तट तक सड़क बनाए जाने से गुस्साई महिलाओं ने जेसीबी मशीन के आग प्रदर्शन कर सड़क का काम रु कवा दिया। ग्राम प्रधान ज्योति देवी के अगुवाई में महिलाओं ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि खनन के नाम पर क्षेत्र के पर्यावरण से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि सड़क बनाने के लिए वन पंचायत की भूमि का उपयोग किया जा रहा है जिसका नुकसान भविष्य में गांव के लोगों को झेलना पड़ेगा। प्रदर्शन के उपरांत महिलाओं ने जिला प्रशासन को ज्ञापन प्रेषित कर कहा कि पूर्व में भी इसकी शिकायत की गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सड़क निर्माण का कार्य करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नही की गई तो क्षेत्र की सभी महिलाएं जिला मुख्यालय पहुंचकर कलक्ट्रेट में धरने पर बैठ धरना-प्रदर्शन को बाध्य होंगी। प्रदर्शन करने वालों ने दर्जनों ग्रामीण महिलाएं शामिल थी।