जोरदार बारिश के चलते बस्तड़ी में बचाव कार्य रोका, दुश्वारियां बरकरार
राज्यभर में ग्रामीण क्षेत्रों में मार्ग बंद होने से ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में बनी 188 सड़कें अभी भी बंद हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड में मानसून के तेवर नरम अवश्य पड़े हैं, लेकिन आपदा प्रभावित क्षेत्रों में दुश्वारियां कम नहीं हुई हैं। पिथौरागढ़ के बस्तड़ी गांव में बादल फटने की घटना के बाद चल रहे बचाव एवं राहत कार्यों में आज हुई जोरदार बारिश के कारण रोकना पड़ा।
इस बीच मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पिथौरागढ़ और चमोली में आपदा के जख्म देखे। बस्तड़ी के हालात देख वह भावुक हो गए और आंखों में आंसू छलक पड़े। उन्होंने प्रभावित ग्रामीणों को सरकार की ओर से हरसंभव मदद मुहैया कराने का भरोसा दिलाया।
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इधर, चार दिन से बाधित चल रहा बदरीनाथ राजमार्ग आज छोटे वाहनों के लिए खोल दिया गया। दूसरी तरफ, मौसम विभाग की मानें तो कल भी सूबे में कुछ स्थानों में हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना है।
आपदा प्रभावित बस्तड़ी गांव में आज तीन घंटे तक चली बारिश ने फिर से सांसें अटका दीं। इसके कारण वहां बचाव-राहत कार्य रोकने को मजबूर होना पड़ा। हालांकि, दोपहर तक मलबा हटाने के कार्य के दौरान मलबे में दबे किसी व्यक्ति का कोई पता नहीं चल पाया। आस-पास के क्षेत्रों में भी बारिश ने भयभीत किए रखा। वहीं, क्षेत्र में बनाए गए राहत शिविरों में भोजन का जिम्मा सेना ने संभाल लिया है।
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इधर, गढ़वाल मंडल में आपदा प्रभावित चमोली जिले के घाट क्षेत्र में बचाव एवं राहत कार्य जारी हैं। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज पहले घाट और फिर शाम को बस्तड़ी जाकर बचाव कार्यों का जायजा लिया। साथ ही अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। वहीं, पिछले चार दिन से चमोली और नंदप्रयाग के मध्य मलबा आने से बाधित चल रहे बदरीनाथ राजमार्ग को छोटे वाहनों के लिए खोल दिया गया।
बताया जा रहा है कि दो-तीन दिन में राजमार्ग को भारी यात्री वाहनों के लिए खोल दिया जाएगा। हालांकि, बदरीनाथ के लिए वैकल्पिक मार्ग से आवाजाही सुचारू करा दी गई थी। केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री राजमार्ग खुले हैं।
राज्यभर में ग्रामीण क्षेत्रों में मार्ग बंद होने से ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में बनी 188 सड़कें अभी भी बंद हैं। इसके अलावा 97 गांवों में अभी भी बिजली गुल है, जबकि 37 गांवों में पेयजल योजनाएं बाधित हैं।