लोहाथल में राज्याभिषेक के साथ रामलीला संपन्न
बासुकीनाग रामलीला कमेटी लोहाथल में राम राज्याभिषेक के साथ रामलीला का समापन हुआ।
संवाद सूत्र, बेरीनाग : बासुकीनाग रामलीला कमेटी लोहाथल में राम राज्याभिषेक के साथ रामलीला का समापन हुआ। वहीं, कांडे किरौली व पिनारी में लक्ष्मण द्वारा सूर्पनखा का नासिका छेदन से लेकर सीता हरण तक का मंचन हुआ। कड़ाके की ठंड के बावजूद रामलीला देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है।
लोहाथल में 11वें दिन कुंभकरण वध, लक्ष्मण-मेघनाथ युद्ध, मेघनाथ का वीरगति को प्राप्त होना, राम-रावण युद्ध, युद्ध में रावण का मारा जाना, राम, लक्ष्मण, सीता का अयोध्या लौटने पर राम का राज्याभिषेक के साथ रामलीला का समापन हुआ। अंतिम दिन मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक मीना गंगोला रही। राम की भूमिका कृष्णा कार्की, लक्ष्मण महेश जोशी, सीता मनोज जोशी, मेघनाथ शंकर जोशी, रावण की भूमिका में कुंदन कार्की रहे। मंचन के सफल आयोजन में हारमोनियम में सतीश पंत, तबला वादक चारु जोशी, मेकअप धीरज जोशी, वक्ता मैनेजर प्रदीप जोशी ने अहम भूमिका निभाई। वहीं, नौगांव इग्यारपाली रामलीला कमेटी के तत्वावधान में कांडे किरौली में चल रही रामलीला के सातवें दिन लक्ष्मण द्वारा सूर्पनखा का नाक काटना, रावण द्वारा सीता का हरण करने का दृश्य दिखाया गया। इससे पूर्व मंचन का शुभारंभ मुख्य अतिथि भारतीय रेलवे यात्री सुविधा समिति की सदस्य गीता ठाकुर रहीं। इस मौके पर जिला पंचायत सदस्य पिंकी कार्की, भूपेंद्र कार्की, भूपाल कार्की आदि मौजूद रहे। उधर, पिनारी में भी सूर्पनखा का नासिका छेदन तक का मंचन हुआ। ======= झूलाघाट की रामलीला में सुग्रीव का हुआ राजतिलक
झूलाघाट: नेपाल सीमा से लगे झूलाघाट में रामलीला मंचन के आठवें दिन सीताहरण से लेकर सुग्रीव के राजतिलक तक का मंचन किया गया। इस मौके भारत सहित नेपाल से भारी संख्या में दर्शक जुटे।
नेपाल सीमा पर विगत 121 वर्षों से मंचित रामलीला में सोमवार को सीताहरण, राम-हनुमान मिलन, सुग्रीव से राम के मिलने, बाली वध और सुग्रीव के राजतिलक का मंचन किया गया। रामलीला कमेटी के अध्यक्ष कै लाश भट्ट गुरु और ग्राूम प्रधान मजिरकांडा किरण भट्ट ने संयुक्त रू प से दीप जलाकर मंचन का शुभारंभ किया। इस मौके पर प्रकाश पंगरिया, सदानंद भट्ट, हेम पंत, तबलावादक सक्षम थापा, हेमंत पंगरियां आदि मौजूद रहे। रामलीला देखने कानड़ी, झूलाघाट, बलतड़ी, सीमू, तड़ीगांव, गिठगड़ा, सिमपानी, तालेश्वर, रणवा के अलावा मित्र राष्ट्र नेपाल से भी दर्शक पहुंचे थे। झूलाघाट की रामलीला नेपाल सीमा की प्रमुख रामलीला मानी जाती है। यहां की रामलीला मंचन में नेपाल के लोग भी सहभागिता करते आए हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख रामलीला होने के कारण काली नदी घाटी के दोनों देशों के कई गांवों के ग्रामीण रामलीला मंचन देखने पहुंचते हैं।