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बरसात ने खोली सड़क निर्माण एजेंसियों की पोल

पिथौरागढ़ जिले की सड़कों पर हो रहे कार्यो में खानापूर्ति ज्यादा हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 09:44 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 09:44 PM (IST)
बरसात ने खोली सड़क निर्माण एजेंसियों की पोल
बरसात ने खोली सड़क निर्माण एजेंसियों की पोल

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: जिले की सड़कों पर हो रहे कार्यो में खानापूर्ति ज्यादा हो रही है। कई सड़कों पर हुआ काम पहली बरसात ही नहीं झेल पाया। सड़कों की सुरक्षा दीवारें टूटने से आवागमन जोखिम भरा हो गया है।

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पिथौरागढ़ तहसील के अंतर्गत चुपकोट से जमराड़ी तक बनी सड़क में एक सुरक्षा दीवार ढह गई है। सुरक्षा दीवार से कुछ आगे पुल बना हुआ है। इससे पुल पर भी खतरा बढ़ गया है। पीएमजीएसवाई की इस सड़क में जगह- जगह टूट-फूट से ग्रामीण परेशान हैं। ग्राम प्रधान कविता महर ने सड़क की दुर्दशा से पूर्व में ही पीएमजीएसवाई को अवगत करा दिया था, लेकिन सड़क की हालत सुधारने के लिए अब तक कोई पहल नहीं हुई है। उन्होंने कहा है कि जल्द सड़क की हालत नहीं सुधारी गई तो क्षेत्रवासी सड़कों पर उतरने को बाध्य होंगे।

बेरीनाग: तहसील मुख्यालय की डाकघर-जमुनानगर सड़क इन दिनों तलैया बनी हुई है। एनएच की इस सड़क पर कुछ ही समय पूर्व नाली निर्माण और गड्ढे भरान का कार्य किया गया था। पहली बरसात में ही नालियां टूट गई हैं। सड़कों पर बने गड्ढों को पाटने केलिए भरी गई सामग्री बह जाने से अब नालियों का पानी सड़कों पर जमा हो रहा है, जिससे जल भराव की स्थिति पैदा हो गई है। सामाजिक कार्यकर्ता विनोद पाठक ने कहा कि सड़क पर बह रहे पानी के चलते राहगीरों, व्यापारियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने अविलंब सड़क की हालत नहीं सुधारी गई तो क्षेत्र के लोग आंदोलन को बाध्य होंगे। ====== आपदा से क्षतिग्रस्त भवनों के तत्काल मुआवजे की व्यवस्था करे प्रशासन

पिथौरागढ़: अनुसूचित जाति महिला प्रकोष्ठ ने जिले भर में आपदा से क्षतिग्रस्त भवनों का मुआवजा तत्काल दिए जाने की व्यवस्था किए जाने की मांग की है। प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष सीता भारती की अगुवाई में जिलाधिकारी आनंद स्वरू प से मिली महिलाओं ने कहा कि लगातार हो रही बारिश से जिले में तमाम मकान, गोशाला धराशायी हो गए हैं। नुकसान झेलने वाले लोग गरीब परिवारों के हैं। मकान क्षतिग्रस्त हो जाने से अब ऐसे परिवारों के पास सिर छुपाने की भी व्यवस्था नहीं है। गोशाला ध्वस्त हो जाने से लोगों के समक्ष जानवरों को बांधने की समस्या खड़ी हो गई है।


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