नेपाल सीमा पर अब तीस किमी सड़क बननी शेष
नेपाल सीमा पर अब केवल तीस किमी सड़क बननी शेष रह चुकी है। सड़क बनते ही पंचेश्वर से कालापनी तक सड़क होगी।
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: नेपाल सीमा पर अब केवल तीस किमी सड़क बननी शेष रह चुकी है। तीस किमी सड़क बनते ही जिले में पंचेश्वर से कालापानी तक नेपाल सीमा पर सड़क होगी। काली नदी के उद्गम से लेकर चम्पावत जिले लगने वाले पंचेश्वर तक सीमा सामरिक दृष्टि से मजबूत हो जाएगी।
कालापानी से पंचेश्वर तक 185 किमी लंबी सीमा के लिए वर्ष 2020 उपलब्धि वाला रहा है। वर्ष प्रारंभ होते ही झूलाघाट से जौलजीबी तक लगभग 30 किमी मोटर मार्ग पूरा हुआ। बीते माहों में गर्बाधार से कालापानी तक सड़क तैयार हुई। इससे पूर्व नेपाल सीमा पर तल्लाबगड़ से घटियाबगड़ तक ही सड़क थी। इस वर्ष झूलाघाट के बलतड़ी से काली नदी किनारे कालापानी तक सड़क तैयार है। ========= अब पंचेश्वर से झूलाघाट तक 30 किमी की बारी
नेपाल सीमा पर अब पंचेश्वर से झूलाघाट तक 30 किमी सडक बननी शेष है। झूलाघाट से सात किमी दूर बलतड़ी तक संपर्क मार्ग बना है। बलतड़ी से सप्तड़ी, हल्दू, रावतगड़ा , सेल सल्ला होते पंचेश्वर तक सड़क बनते ही जिले की नेपाल से लगी पूरी सीमा सड़क से जुड़ जाएगी। ====== काली नदी घाटी का क्षेत्र एक साथ जुड़ जाएगा
नेपाल सीमा पर अभी पंचेश्वर तक सड़क नहीं होने से पूरी नदी घाटी क्षेत्र एक दूसरे से नहीं जुड़ा है। आज भी पंचेश्वर से तीस किमी दूर झूलाघाट आने के लिए चम्पावत जिले से होकर आना पड़ता है। यह दूरी पंचेश्वर से झूलाघाट तक 130 किमी हो जाती है। सड़क बनते ही सीमा पर तैनात एसएसबी को गश्त लगाने में सहूलियत मिलेगी। वहीं काली नदी से होने वाली तस्करी और अवैध घुसपैठ पर रोक लगेगी। ===== टनकपुर से जौलजीबी तक स्वीकृत है सड़क टनकपुर से जौलजीबी तक सड़क स्वीकृत है। इस सड़क के बनने से टनकपुर से जौलजीबी की दूरी 135 किमी है। वर्तमान में यह दूरी 214 किमी है। इस सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है। बीते दिनों एनएच द्वारा इसका सर्वे भी किया गया है। वहीं अन्य सम्पर्क मार्ग भी बन रहे हैं। दूसरी तरफ नेपाल में भी इस सीमा पर सड़क निर्माण प्रस्तावित है, परंतु अभी नेपाल भारत की अपेक्षा काफी पीछे है।