गोरीपार क्षेत्र में बंटी रसोई गैस, राहत
लॉकडाउन के चलते गैस किल्लत झेल रहे मुनस्यारी विकास खंड के अति दुर्गम गोरीपार इलाके के उपभोक्ताओं को रसोई गैस बांट दी गई है।
संवाद सूत्र, मदकोट( पिथौरागढ़) : लॉकडाउन के चलते गैस किल्लत झेल रहे मुनस्यारी विकास खंड के अति दुर्गम माने जाने वाले गोरीपार के उपभोक्ताओं को राहत मिल गई है। लंबे समय बाद गैस वाहन गोरीपार के जौलढुंगा पहुंचा। एक वाहन का पट्टा टूट जाने पर स्थानीय युवाओं ने दूसरे वाहन से जौलढुंगा तक सिलेंडर पहुंचाए। इस तरह ग्रामीणों के घरों में चूल्हे जलने लगे हैं।
गोरीपार क्षेत्र अति दुर्गम है। इस क्षेत्र के लिए बीते वर्ष ही सड़क का निर्माण जौलढुंगा तक हो सका है। जौलढुंगा गोरीपार क्षेत्र का केंद्र बिंदु है। परंतु नव निर्मित सड़क पर भारी वाहनों का चल पाना अभी संभव नहीं है। ग्रामीण घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे थे, जिसके चलते अधिसंख्य उपभोक्ताओं के गैस सिलेंडर खाली हो गए थे। ग्रामीण लकड़ी पर खाना बनाने को मजबूर थे। इसकी जानकारी एसडीएम मुनस्यारी और केएमवीएन के गैस कार्यालय को दी गई थी।
शनिवार को इंडेन गैस वाहन तहसील मुख्यालय से 32 किमी दूर स्थित गोरीपार के लिए गैस सिलेंडर लेकर चला। मदकोट कस्बे से आगे पहले गांव बसंतकोट पहुंचते ही वाहन का पट्टा टूट गया। इसकी सूचना पर गांवों में लोग गैस मिलने की आस छोड़ निराश हो गए। इसी बीच उच्छैती गांव निवासी विनोद बिष्ट और बोथी गांव निवासी मनोज बोथ्याल आगे आए। गैस कर्मियों से वार्ता कर सहमति बनने पर दोनों युवाओं ने दूसरे वाहन में गैस सिलेंडर भरकर गोरीपार के सड़क के अंतिम बिंदु जौलढुंगा तक वाहन पहुंचाया। इस बीच गैस कर्मियों द्वारा मार्ग पर पड़ने वाले बोथी, उच्छैती, रिगू, चिलकोट आदि गांवों में भी सिलेंडर बांटे। वाहन के जौलढुंगा पहुंचने पर अन्य गांवों के ग्रामीणों को पहली बार निकटतम स्थान पर गैस सिलेंडर उपलब्ध हुए, जिससे ग्रामीणों में खुशी व्याप्त है। ग्रामीणों ने विभाग और सरकार का आभार जताया है। गोरीपार क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक गांव हैं। पूरे क्षेत्र की जनसंख्या दस हजार से अधिक है।