नेपाली पेंशनरों के लिए झूला पुल खोले जाने से गुलजार हुए भारतीय बाजार, व्यापारियों के चेहरे खिले
लागातार नेपाली पेंशनरों के लिए झूला पुलों के खोले जाने से सीमांत के बाजार भी गुलजार हो उठे है।
पिथौरागढ़, जेएनएन: सीमा विवाद और कोरोना के कारण भारत-नेपाल के बीच बढ़ी दूरी अब धीरे-धीरे कम होने लगी है। नवंबर में भारतीय सेना प्रमुख नेपाल पहुंचे तो दिसंबर में भारत ने नेपाल निवासी पूर्व सैनिकों की पेंशन के लिए झूला पुल खोलकर सौगात दी। शुक्रवार को लगातार चौथे दिन भी पुल से आवाजाही होती रही। इससे सीमावर्ती भारतीय बाजार भी गुलजार रहे। इस बीच पेंशनर के अतिरिक्त आम नेपाली भी भारतीय बाजारों में पहुंचे। सीमावर्ती धारचूला के स्थानीय लोगों का मानना है कि ऐसे ही रहा तो फिर पुराना मित्रवत दौर लौट आएगा। भारत-नेपाल को जोड़ने वाले चार झूला पुल पेंशनर के लिए खोले गए हैं। इनमें झूलाघाट, लाली, जौलजीबी और धारचूला पुल शामिल हैं। लाली पुल का अधिक महत्व नहीं है, क्योंकि यहां से बाजार नहीं जुड़ा है। झूलाघाट, जौलजीबी और धारचूला तीन स्थानों पर भारतीय बाजार नेपाली ग्राहकों पर आश्रित हैं। पूर्व में पुल खुलने पर नेपाली प्रशासन भारत से सामान खरीदने पर ऐतराज जता रहा था। इस बार व्यवहार में बदलाव है। भारत से सामान खरीद कर ले जाने वाले नेपाली पेंशनरों को रोका नहीं जा रहा है। इससे वे खुलकर खरीदारी कर रहे हैं।
सर्वाधिक पेंशनर्स और आम नेपाली झूलाघाट पुल से भारत आ रहे हैं। यहां पर पांच दिनों के लिए पुल खोला गया है। शुक्रवार को पुल खुलने का चौथा दिन रहा। जौलजीबी और धारचूला पुल तीन दिन के खोले गए हैं। यहां पुल खुलने का शुक्रवार को दूसरा दिन रहा। इन दोनों स्थानों पर पुल सुबह 10 से 11 बजे तक खुले। शाम को फिर चार से पांच बजे तक खोले गए। इससे नेपाली लोगों को यहां खरीदारी का पूरा समय मिल रहा है। इसके साथ ही वे भारत में रहने वाले अपने नाते-रिश्तेदारों से भी मिल ले रहे हैं।
धारचूला में नेपाल रोड पर दुकान चलाने वाले योगेश गब्र्याल बताते हैं कि पुल खुलने से बाजार में रौनक आई है। अब सप्ताह में दो दिन बुधवार और शनिवार को आम लोगों के लिए पुल खुलने के प्रस्ताव से भारतीय बाजारों की रौनक बढ़ जाएगी।