छह पेयजल लाइनें ध्वस्त, दस हजार की आबादी प्यासी
सीमांत तहसील मुनस्यारी के दर्जन भर गांव चार माह बाद भी आपदा की चोट से नहीं उभर सके हैं। यहां लगभग दस हजार की आबादी आज भी पानी के लिए तरस रही है।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: सीमांत तहसील मुनस्यारी के दर्जन भर गांव चार माह बाद भी आपदा की चोट से नहीं उबरे हैं। योजनाएं क्षतिग्रस्त होने से गांवों की पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी हुई है। पैदल पुलों का निर्माण नहीं होने से लोगों आवागमन में खासी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। कई बार गुहार लगाने के बाद भी प्रशासन का रवैया उदासीन बना हुआ है। इससे लोगों में आक्रोश गहरा रहा है।
जुलाई माह में भारी बारिश से आलम-दारमा, द्वारी, शिलिंग, उमरगाड़ा, गैला गांवों के लिए बनाई गई पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हो गई थी। गांवों की पेयजल आपूर्ति ठप पड़ जाने से ग्रामीण प्राकृतिक जल स्रोतों से अपनी जरू रत पूरी कर रहे हैं। इधर लंबे समय से बारिश नहीं होने से स्रोतों में पानी कम होने लगा है, जिससे गांवों में दिक्कत बढ़ गई है। ग्रामीणों को एक से डेढ़ किमी. दूर स्थित स्रोतों से पानी ढोना पड़ रहा है। पूरा क्षेत्र पशुपालक है। पशुओं के लिए पानी का इंतजाम ग्रामीणों के लिए बड़ी समस्या बना हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम दानू ने कहा कि पेयजल की समस्या के चलते ग्रामीणों की पूरी दिनचर्या प्रभावित हो रही है। अधिकांश समय पानी के इंतजाम में ही निकल जा रहा है। पेयजल विभाग के साथ ही तहसील प्रशासन के सामने भी यह मामला रखा जा चुका है, लेकिन रवैया उदासीनता भरा है। उन्होंने कहा ध्वस्त पड़ी पेयजल योजनाओं को ठीक करने के लिए जल्द पहल नहीं की जाती है तो ग्रामीण आंदोलन को बाध्य होंगे।
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सिर्तोली- घांघली पुल क्षतिग्रस्त होने से बढ़ी दिक्कत
पिथौरागढ़: आपदाकाल के दौरान क्षतिग्रस्त हुए सिर्तोली-घांघली पुल के पुनर्निर्माण के लिए अब तक कोई पहल नहीं होने से ग्रामीणों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। मजबूर ग्रामीणों के साथ ही स्कूली विद्यार्थियों को गधेरा पार करना पड़ रहा है। बच्चे घर से ही दो जोड़ी कपड़े लेकर निकल रहे हैं। गधेरा पार करने के दौरान भीगे कपड़े बदलकर बच्चे स्कूल जा रहे हैं। पुल के पुनर्निर्माण के लिए ग्रामीण कई बार मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई है।