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अच्छे मानसून से इस वर्ष पिथौरागढ़ में बढ़ी शहद की मिठास

अच्छी बारिश का फायदा इस वर्ष पिथौरागढ़ केशहद उत्पादन में देखने को मिल सकता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 11:23 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 11:23 PM (IST)
अच्छे मानसून से इस वर्ष पिथौरागढ़ में बढ़ी शहद की मिठास
अच्छे मानसून से इस वर्ष पिथौरागढ़ में बढ़ी शहद की मिठास

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : राज्य में अच्छी बारिश का फायदा इस वर्ष शहद उत्पादन में देखने को मिलेगा। सीमांत जिले में इस वर्ष रिकार्ड शहद उत्पादन की उम्मीद है।

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सीमांत जिले की गर्म घाटियों में एक दशक पूर्व तक अच्छा खासा शहद का उत्पादन होता था, लेकिन पिछले एक दशक में शहद उत्पादन में धीरे-धीरे गिरावट आ गई। इसका सबसे बड़ा कारण मौसम में आ रहे बदलावों को माना जा रहा था। समय पर बारिश नहीं होने से घाटियों में च्यूरे का उत्पादक सिकुड़ रहा था, जिससे मधुमक्खियों को आहार नहीं मिलने में दिक्कत आ रही थी।

इस वर्ष प्रकृति मेहरबान रही। अच्छी बारिश के चलते घाटी वाले क्षेत्रों में च्यूरे का फूल खूब खिला है। इससे मधुमक्खियों को पर्याप्त आहार मिल रहा है। जिले में इस वर्ष करीब 200 कुंतल से अधिक शहद उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है। शहद निकालने का काम दीप पर्व के बाद शुरू होगा। इन क्षेत्रों में होता है शहद का उत्पादन 1. गुरना

2. निशनी

3. थल

4. जौलजीबी

5. रांथी

6. मेलकू मिड डे मील में भी परोसा जाएगा पिथौरागढ़: पौष्टिक गुणों से भरपूर शहद को अब स्कूलों में दिए जाने वाले मध्याह्न भोजन में भी परोसा जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय सभी राज्यों को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। केंद्र की इस पहल से जहां शहद उत्पादकों को फायदा होगा वहीं बच्चों की सेहत भी बेहतर होगी। शहद को इम्यून बूस्टर माना जाता है। जिले में भी बनेंगे मधुग्राम पिथौरागढ़: केंद्र सरकार ने हाल ही में देश भर में मधु ग्राम बनाए जाने का फैसला किया है। इसके लिए नीति तय की जा रही है। सरकार ऐसे गांवों को मधुमक्खी पालन के लिए तकनीकी जानकारी के साथ ही साथ अन्य सुविधाएं भी देगी। जिले के उद्यान विभाग को अभी इस संबंध में दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। सीमांत जिले पिथौरागढ़ में इस वर्ष च्यूरा खूब खिला है, इससे मधुमक्खियों के लिए आहार की कोई समस्या नहीं रहेगी। इससे शहद उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। शहद उत्पादन का आंकड़ा दीप पर्व के बाद सामने आएगा। हरीश दुबड़िया, मौन पालन निरीक्षक, पिथौरागढ़ रमेश गड़कोटी


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