टूरिस्ट डेस्टिनेशन चंडाक में नहीं हुआ हिमपात
सीमांत जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में पिछले चार दिनों में जमकर हिमपात हुआ है।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: सीमांत जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में पिछले चार दिनों में जमकर हिमपात हुआ है। मुनस्यारी के आस-पास का क्षेत्र बर्फ से लकदक है, मौसम इस बार भी जिला मुख्यालय में रहने वाले लोगों को निराश कर गया है। मुख्यालय के आस-पास की चोटियां बर्फ का इंतजार ही करती रह गई। पिथौरागढ़ के टूरिस्ट डेस्टिनेशन मोस्टामानूं चंडाक में हर वर्ष कम या ज्यादा हिमपात होता रहा है। करीब साढ़े पांच हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र के समकक्ष नैनीपातल, सौड़लेख में हिमपात हुआ, लेकिन चंडाक क्षेत्र की चोटियां इस बार सूनी ही रही। तापमान हिमपात के अनुकुल था, बावजूद इसके हिमपात नहीं होने से लोग हैरत में है। स्थानीय निवासी भवान सिंह बताते हैं कि पिछले वर्षो में इससे कम तापमान में क्षेत्र में अच्छा खासा हिमपात हुआ। उनका मानना है कि क्षेत्र में मानवीय गतिविधयां बढ़ने से कहीं न कहीं ईको सिस्टम प्रभावित हुआ है, जिसका असर अब तक हिमपात नहीं होने के रूप में सामने आया है। ==========
प्रभावित होंगे 24 से अधिक पेयजल स्त्रोत चंडाक क्षेत्र में हिमपात पिथौरागढ़ नगर और गौरंगघाटी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। चंडाक क्षेत्र से ही 24 प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पानी मिलता है। हिमपात होने पर भीषण गर्मी में भी पेयजल स्त्रोतों में पानी की कमी नहीं रहती है। गौरंगघाटी में पशुपालन का कार्य इन्हीं स्त्रोतों पर निर्भर है। हिमपात क्षेत्र में कृषि के साथ ही सब्जी उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र के सेब उत्पादक मनोज का कहना है कि हिमपात नहीं होने से इस वर्ष सेब को जरूरी चिलिग प्वाइंट मिलने में दिक्कत आ सकती है। ============ चंडाक क्षेत्र में तापमान बढ़ रहा है। हिमपात नहीं होना यही दर्शाता है। पिछले कुछ वर्षो में यहां के जंगलों का रकबा कम हुआ है। पेड़ यहां के तापमान को नियंत्रित रखते हैं। वनों का क्षेत्रफल यथावत बनाए रखने की दिशा में गंभीरता से विचार करना होगा।
- धीरेंद्र जोशी, पर्यावरणविद, पिथौरागढ़