मुनस्यारी के राया गांव में पेयजल संकट, 50 परिवार प्रभावित
आपदा से राया गांव में अब पेयजल संकट गहरा गया है।
संवाद सूत्र, नाचनी (पिथौरागढ़): मानसून काल में आपदा से राया गांव के तीन पेयजल स्रोत ध्वस्त हो चुके हैं। इधर मलबे से रिस कर आने वाला पानी लगातार घटता जा रहा है। बीस लीटर के बर्तन को भरने में चालीस मिनट का समय लगता है। गांव के पचास परिवारों के लिए पीने भर पानी जुटाना मुश्किल हो चुका है।
मानसून काल में आइ आपदा से गांव की सीमा में स्थित तीन जलस्रोत मलबे से पट गए। पहले जलस्रोत से बना टंकी पचास मीटर नीचे तक बह कर ध्वस्त हो गई । दो छोटे स्रोतों से बनी दो छोटी टंकियां भी मलबे से पूरी तरह दब गई। आपदा के बाद से मलबे से रिस कर आने वाले पानी से ग्रामीण प्यास बुझा रहे थे। इधर अब रिस कर आने वाला पानी काफी कम हो चुका है। एक परिवार के लिए एक बाल्टी पानी जुटाना मुश्किल बना हुआ है। छह माह बीतने के बाद भी विभाग द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किए जाने से ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है। ======= गांव में नहीं है अन्य स्रोत राया गांव पहाड़ी की चोटी पर स्थित ऊंचाई वाला गांव है। यहां पर तीन छोटे जलस्रोत भर थे जो आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं। इसके अलावा गांव सहित आसपास में कहीं पर भी जलस्रोत नहीं हैं। मलबे से रिसने वाले पानी के बंद होते ही गांव जल से शून्य हो जाएगा। ====== थाम तोक के 19 परिवार भी प्रभावित राया गांव के इन जलस्रोतों से ही निकटवर्ती बजेता गांव के थाम तोक के 19 परिवार भी आश्रित थे। अब पेयजल के लगातार कम होने से 69 परिवारों के सम्मुख संकट पैदा हो गया है। गांव के गजेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि जिस दिन मलबे से पानी रिसना बंद हो जाएगा, उस दिन से ग्रामीणों के सम्मुख गंभीर संकट पैदा हो जाएगा। 69 परिवारों के पास मात्र गांव से पलायन ही विकल्प रहेगा। उन्होंने कहा है कि एक सप्ताह के भीतर यदि जल संस्थान ने व्यवस्था नहीं की तो समस्त परिवार डीडीहाट जाकर जल संस्थान कार्यालय का घेराव करेंगे। ========== यह राया गांव की एकमात्र पेयजल योजना थी। मानसून काल की आपदा में पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। इसके लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं। आपदा मद से कार्य हो पाना संभव नहीं है। नई जल मिशन योजना के तहत पेयजल योजना को ठीक किया जाएगा। इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है।
- चेतन कुमार, अवर अभियंता, जल संस्थान, डीडीहाट