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बलुवाकोट महाविद्यालय को परास्नातक का दर्जा दो

राजकीय महाविद्यालय बलुवाकोट को परास्नातक का दर्जा देने की मांग उठने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 10:37 PM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 10:37 PM (IST)
बलुवाकोट महाविद्यालय को परास्नातक का दर्जा दो
बलुवाकोट महाविद्यालय को परास्नातक का दर्जा दो

संवाद सूत्र, बलुवाकोट: राजकीय महाविद्यालय बलुवाकोट के गठन हुए 25 वर्ष बीतने के बाद भी अभी तक परास्नातक का दर्जा नहीं मिलने पर एनएसयूआइ कार्यकर्ताओं ने आक्रोश प्रकट किया है। कार्यकर्ताओं ने इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर शीघ्र महाविद्यालय को परास्नातक घोषित नहीं किए जाने पर सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है।

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बुधवार को पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष पंकज मेहरा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में कार्यकर्ताओं ने कहा कि बलुवाकोट महाविद्यालय में वर्तमान में बीए व एमए में मात्र तीन विषय हिदी, समाजशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान और बीएससी में एकमात्र जंतु विज्ञान व वनस्पति विज्ञान विषय संचालित हैं। जिस कारण सीमांत क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। परास्नातक का दर्जा नहीं मिलने पर सीमांत क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को आज भी उच्च शिक्षा के लिए हल्द्वानी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ आदि शहरों में जाना पड़ता है। कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री से महाविद्यालय में स्नातक व परास्नातक में सभी वर्गाें के विषय संचालित करने के साथ ही बीएड पाठ्यक्रम भी संचालित करने की मांग की। ज्ञापन की प्रतिलिपि कुमाऊं आयुक्त को भी भेजी गई है। इस मौके पर एनएसयूआइ उपाध्यक्ष कुंदन राम, नीरज सिंह, गोविंद नगन्याल, जूही, संजना, प्रियंका भट्ट, रेनू, अंजली, अमीषा, ईश्वर सिंह, जतिन सिंह, हरीश धामी, अशोक दुग्ताल, कंचन नेगी, आनंद सिंह, पूनम, विमला, आंचल आदि शामिल थे।

======= महाविद्यालय में 31 दिवसीय प्री पीएचडी कोर्स वर्क संपन्न

पिथौरागढ़: एलएसएम राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 31 दिवसीय प्री पीएचडी कोर्स वर्क कार्यशाला संपन्न हो गई है। कार्यशाला में 23 शोधार्थियों ने पंजीकरण कराया था, जिन्हें ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यमों से शोध प्रविधि प्रश्न पत्र का अध्यापन कराया गया।

कार्यशाला के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डा. अशोक नेगी ने शोधार्थियों को शोध की बारीकियों से अवगत कराते हुए उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम समन्वयक डा. माया जोशी ने कार्यशाला में हुए महत्वपूर्ण कार्याें को संक्षेप में प्रस्तुत किया। इसके अलावा 28 शोध विशेषज्ञों द्वारा शोध प्रविधि के विभिन्न पक्षों पर व्याख्यान्न दिए गए। कार्यक्रम का संचालन बीएड विभागाध्यक्ष डा. एसके आर्य व डा. प्रदीप कुमार ने किया। इस मौके पर डा. दीपक तिवारी, डा. हेम चंद्र पांडे, डा. शंकर मंडल, डा. विपिन चंद्र पाठक, डा. राकेश वर्मा, डा. मनीषा बिष्ट, डा. ममता बिष्ट, डा. कमलेश भाकुनी, डा. भानु प्रताप गौतम, डा. नवीन रजवार आदि मौजूद रहे।


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