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दो वर्ष से क्षतिग्रस्त नियोलियासेरा पुल को भूल गई प्रशासनिक मशीनरी

संवाद सूत्र गणाईगंगोली दो वर्ष पहले क्षतिग्रस्त हुए नियोलियासेरा पुल के पुनर्निर्माण की अब तक क

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 10:55 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 06:35 AM (IST)
दो वर्ष से क्षतिग्रस्त नियोलियासेरा पुल को भूल गई प्रशासनिक मशीनरी
दो वर्ष से क्षतिग्रस्त नियोलियासेरा पुल को भूल गई प्रशासनिक मशीनरी

संवाद सूत्र, गणाईगंगोली: दो वर्ष पहले क्षतिग्रस्त हुए नियोलियासेरा पुल के पुनर्निर्माण की अब तक कोई पहल नहीं हुई है। नदी में पत्थर डालकर वाहनों का आवागमन हो रहा है। अगले एक माह में मानसून शुरू हो जाने के साथ ही रामपुर-नैनी सड़क से जुड़े सैकड़ों गांव अलग-थलग पड़ जाएंगे।

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एक फरवरी 2017 को कुलुर नदी पर बना मोटर पुल उस समय ध्वस्त हो गया था जब पुल से दो ट्रक गुजर रहे थे। पुल पर धूप सेंकने के लिए खड़े दो युवक इस हादसे में मारे गए। पुल टूटने से बड़ा इलाका अलग-थलग पड़ गया था। क्षेत्रवासियों की परेशानी को देखते हुए प्रशासन ने तीन माह के भीतर नया मोटर पुल तैयार करने का भरोसा क्षेत्रवासियों को दिया था, लेकिन दो साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी पुल निर्माण की कोई पहल नहीं हुई है। विभागीय अधिकारियों इन दिनों आचार संहिता का हवाला दे रहे हैं। इससे पहले पुल का निर्माण क्यों शुरू नहीं हुआ इसका जवाब विभागीय अधिकारियों के पास नहीं है।

बरसात में क्षेत्र के लोगों के आवागमन के लिए ट्रॉली लगाई गई थी, जो छह माह से खराब पड़ी है। हद तो यह है कि ट्रॉली में लगी रस्सियां भी चोर चुरा ले गए हैं। अब बरसात का समय नजदीक है। कुलुर नदी में जल स्तर बढ़ने के साथ वाहनों का आवागमन बंद हो जाएगा। गरारी पहले ही खराब पड़ी है। ऐसे में सैकड़ों गांवों का अलग-थलग पड़ना लगभग तय है। =================

फोटो : 18 पीटीएच 02

सरकारी उदासीनता का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। पुल टूटे हुए दो वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक पुल निर्माण की दिशा में कोई पहल नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है।

- जितेंद्र प्रसाद, सामाजिक कार्यकर्ता

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फोटो : 18 पीटीएच 03 पुल के पुनर्निर्माण के लिए कई बार विभागीय अधिकारियों से मांग की जा चुकी है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है। बरसात से पहले पुल का निर्माण नहीं होता है तो क्षेत्र के लोग लोक निर्माण विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने को मजबूर होंगे।

- संजय सिंह डसीला, सामाजिक कार्यकर्ता


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