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गुलदार के हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा न देने से नाराज कांग्रेेसियों ने शुरू किया धरना

गुलदार के हमले में मारे गए लोगों को अब तक मुआवजा न देने के विरोध में गुस्साए कांग्रेसी धरने पर बैठे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 06:00 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 06:00 PM (IST)
गुलदार के हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा न देने से नाराज कांग्रेेसियों ने शुरू  किया धरना
गुलदार के हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा न देने से नाराज कांग्रेेसियों ने शुरू किया धरना

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: आदमखोर गुलदार से निजात दिलाने में हो रही ढिलाई और गुलदार के हमले में मारे गए लोगों को मुआवजा देने में देरी से नाराज पूर्व विधायक मयूख महर मंगलवार को वन विभाग परिसर में अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि वन विभाग क्षेत्रवासियों की मांगों पर जब तक ठोस पहल नहीं करता तब तक धरना जारी रहेगा।

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वन विभाग परिसर में पहुंचे कांग्रेसियों ने वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसके बाद परिसर में धरना शुरू हुआ। धरने पर बैठे पूर्व विधायक मयूख महर ने कहा कि 20 सितंबर को सुकौली में गुलदार के हमले में मारे गए युवक के परिजनों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। धारापानी क्षेत्र में गुलदार के हमले में घायल ललित जोशी के परिजनों को नाममात्र का मुआवजा दिया गया है। छाना पांडेय में बालिका और पपदेव गांव में महिला को गुलदार ने मार डाला। पीड़ित परिवारों की मांगों पर भी वन विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। गुलदार की दहशत से जिला मुख्यालय से लगे गांवों के ग्रामीणों की दिनचर्या बाधित हो गई है। लोग कृषि कार्य के लिए भी घरों से नहीं निकल पा रहे हैं। वन विभाग पिंजड़ा लगाने की औपचारिकता पूरी कर रहा है। गुलदार आए दिन लोगों पर हमले कर रहा है। पूर्व विधायक महर ने कहा कि लोगों को मुआवजा देने और गुलदार के आतंक से निजात दिलाने के लिए जल्द ठोस पहल नहीं होती है तो वे आमरण अनशन पर बैठने को बाध्य होंगे। पूर्व विधायक के साथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष त्रिलोक महर, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष ऋषेंद्र महर, जीवन वल्दिया, संतोष गोस्वामी, मुकेश पंत, मनोज ओझा, पुष्कर सिंह, कुंडल सिंह, जावेद खान, सभासद पवन माहरा, खीमराज जोशी, शुभम बिष्ट सहित तमाम कांग्रेसियों ने धरना दिया। ========= मुख्य वन संरक्षक से मिले आश्वासन के बाद अनिश्चितकालीन धरना समाप्त पिथौरागढ़: गुलदार के हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा और क्षेत्र की जनता को आतंक से मुक्ति दिलाने को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे पूर्व विधायक मयूख महर ने प्रमुख वन संरक्षक से मिले आश्वासन के बाद धरना स्थगित कर दिया। मयूख महर के धरने पर बैठने के चार घंटे बाद प्रमुख वन संरक्षक ने उन से फोन पर वार्ता की और कहा कि मुआवजे के लिए रिपोर्ट प्रभागीय वनाधिकारी से मांगी गई है। उन्होंने तीन दिन के भीतर मुआवजे का भरोसा पूर्व विधायक को दिया। जिलाधिकारी के प्रतिनिधि के रू प में धरना स्थल पर पहुंचे एसडीएम तुषार सैनी ने पूर्व विधायक से वार्ता की और उनकी मांगों को शासन तक पहुंचाने का भरोसा दिया। अधिकारियों से मिले आश्वासन के बाद पूर्व विधायक ने धरना स्थगित करते हुए कहा कि तीन दिन के भीतर मुआवजा नहीं

मिलने की स्थिति में वे पुन: धरने पर बैठेंगे। ======== वन विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर बिफरे पालिकाध्यक्ष रावत बोले- सरकार की छवि खराब कर रहा है विभाग पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ में गुलदार के आतंक को लेकर विपक्ष के साथ ही अब सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि भी वन विभाग पर हमलावर हो गए हैं। नगर पालिकाध्यक्ष राजेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को प्रभागीय वनाधिकारी को कड़ी चिट्ठी लिखी। उन्होंने कहा है कि विभाग की कार्यप्रणाली के सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों को आम जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। गुलदार के हमले में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने और घायलों का समुचित उपचार कराने में विभाग प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहा है। पूर्व में नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत बंदरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए लिखी गई चिट्ठी पर न तो विभाग ने कोई कार्रवाई की और नहीं इसका जवाब देना उचित समझा। उन्होंने कहा कि गुलदार के आतंक से निजात दिलाने के विभाग तत्काल समुचित कदम उठाए और की गई कार्रवाई से जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराए। ======== सुकौली में मृत युवक के मामले की मजिस्ट्रेटी जांच को डीएफओ ने डीएम को लिखा पत्र पिथौरागढ़: सुकौली में 20 सितंबर को मृत युवक के मामले में प्रभागीय वनाधिकारी विनय भार्गव ने मजिस्ट्रेटी जांच कराए जाने के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि घटना के 20 दिन बाद तक परिजनों की ओर से इस संबंध में वन विभाग को कोई रिपोर्ट नहीं दी। 12 अक्टूबर को मृतक के भाइयों ने मुआवजे के लिए विभाग को आवेदन दिया। आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद विभाग द्वारा जांच कराई गई जिसमें पता चला कि मृतक मानसिक रू प से विक्षिप्त था। ऐसे व्यक्तियों के जंगल में पहुंचने पर जंगली जानवरों द्वारा क्षति पहुंचाए जाने की स्थिति में मुआवजा देने का प्राविधान नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी युवक के वन्यजीव द्वारा मारे जाने की पुष्टि नहीं हुई है। परिजन उसे मजदूर बता रहे हैं। अलग-अलग कथनों से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। पत्र में उन्होंने कहा है कि युवक को मुआवजा देने के लिए नियम विरू द्ध दबाव बनाया जा रहा है। पत्र में मामले की मजिस्ट्रेटी जांच कराए जाने की मांग की गई है ताकि मुआवजे का भुगतान को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सके।


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