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84 घंटे बाद खुला हाईवे

संवाद सहयोगी पिथौरागढ़ पिथौरागढ़- टनकपुर नेशनल हाईवे 84 घंटे बाद आवागमन के लिए खुल गया

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 10:36 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 10:36 PM (IST)
84 घंटे बाद खुला हाईवे
84 घंटे बाद खुला हाईवे

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: पिथौरागढ़- टनकपुर नेशनल हाईवे 84 घंटे बाद आवागमन के लिए खुल गया। चट्टान कटिंग का काम पूरा होने के बाद वाहन पिथौरागढ़ पहुंचने से शुरू हो गए हैं। जिससे रसोई गैस, तेल की किल्लत से जूझ रहे लोगों को राहत मिली है।

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पिथौरागढ़-टनकपुर नेशनल हाईवे को ऑलवेदर रोड में तब्दील किया जा रहा है। इसके लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाई जा रही है। पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 20 किमी. दूर मीना बाजार के पास दो विशाल चट्टानों को काटने के लिए 11 जुलाई की सुबह नौ बजे नेशनल हाईवे आवागमन के लिए बंद कर दिया गया था। 14 जुलाई की रात नौ बजे चट्टानों की कटिंग पूरी करने के बाद मार्ग आवागमन के लिए खोल दिया गया।

सोमवार की सुबह गैस, तेल और सब्जियों के वाहन पिथौरागढ़ पहुंच गए। मार्ग बंद होने से जिला मुख्यालय में गैस का भारी संकट बना हुआ था। वाहन पहुंचने के साथ ही गैस एजेंसी ने वितरण कार्य शुरू कर दिया। गैस वितरण केंद्रों पर सोमवार को खासी भीड़ लगी रही। तमाम लोगों को वितरण केंद्रों से खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। मंगलवार से स्थिति सामान्य हो जाने की उम्मीद है।

एनएच के सहायक अभियंता बीएल चौधरी ने बताया कि मीना बाजार में अभी पांच मीटर चौड़ी सड़क बनाई गई है। अब मशीनों को कटिंग के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध हो गया है। मार्ग की चौड़ाई 12 मीटर तक बढ़ाई जाएगी। उन्होंने बताया कि गुरना मंदिर के समीप चट्टान कटिंग का कार्य बरसात के बाद किया जाएगा।

============== ढाबों में लौटी रौनक

पिथौरागढ़: नेशनल हाईवे बंद होने से सूखीढांग से लेकर गुरना तक के तमाम ढाबे भी बंद हो गए थे। इन ढाबों का रोजगार हाईवे पर यात्रा करने वाले यात्रियों से ही चलता है। पिछले 84 घंटे से तमाम ढाबे बंद पड़े थे। शुक्रवार को यातायात सामान्य होने के साथ ही इन ढाबों की रौनक भी लौट आई है।

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यात्रियों को भी मिली राहत

पिथौरागढ़: सड़क चौड़ीकरण के चलते पिथौरागढ़ से टनकपुर तक की यात्रा करने वाले यात्रियों को हाईवे बंद हो जाने से खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस रू ट पर चलने वाले अधिकांश टैक्सी चालक 11 जुलाई से ही खाली हाथ बैठे थे। मजबूरी में ही यात्री वाया थल होते हुए 150 किमी. की अतिरिक्त यात्रा कर मुख्यालय पहुंच रहे थे। मार्ग खुल जाने से टैक्सियां भी दौड़ने लगी हैं।


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