सीमांत के 20 गांवों के 50 फीसद मतदाता पंचायत चुनाव में नहीं डाल पाएंगे वोट
तेज सिंह गुंज्याल धारचूला तहसील क्षेत्र की दारमा और व्यास वैली के 20 गांवों के 50 फीसद मतदाता
तेज सिंह गुंज्याल, धारचूला: तहसील क्षेत्र की दारमा और व्यास वैली के 20 गांवों के 50 फीसद मतदाता पंचायत चुनावों में भागीदारी नहीं कर पाएंगे। निर्वाचन महकमे ने इस वर्ष घाटी वाले क्षेत्रों में रहने वाले मतदाताओं के लिए अलग से मतदान केंद्र की व्यवस्था को खत्म कर दिया है।
दारमा घाटी के अंतर्गत आने वाले 15 गांव और व्यास घाटी में आने वाले सात गांवों के लोग ग्रीष्मकालीन माइग्रेशन में उच्च हिमालय में स्थित अपने मूल गांवों में लौट जाते हैं। माइग्रेशन करने वाले मतदाताओं की तादात लगभग 50 फीसद रहती है और इतने ही मतदाता माइग्रेशन पर उच्च हिमालयी गांवों में न जाकर घाटी वाले गांवों में ही रहते हैं, जबकि इन मतदाताओं के नाम पंचायत निर्वाचक नामावली में ही दर्ज रहते हैं। वर्ष 2014 में हुए पंचायत चुनाव में प्रवास करने वाले ग्रामीणों के लिए घाटी और उच्च हिमालय दोनों स्थानों पर मतदान की व्यवस्था की गई थी। घाटी में रहने वालों ने घाटी में और मूल गावों में रहने वालों ने गांवों में मतदान किया था, लेकिन इस वर्ष निर्वाचन महकमे ने यह सुविधा खत्म कर दी है। घाटी वाले स्थानों पर बूथ नहीं बनाए जायेंगे, सिर्फ मूल गांवों में ही मतदान की सुविधा मिलेगी। घाटी वाले लोग मतदान के लिए अपने मूल गांवों में जाए तो उन्हें गांव पहुंचने में ही तीन से चार दिन का समय लगता है। घाटी में रहने वाले मतदाता इस सुविधा के खत्म हो जाने से परेशान हैं। निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधि अर्चना गुंज्याल, रू कुम देवी, सरिता कटियाल, लक्ष्मी रायपा, ममता दताल, आशा बौनाल, भागीरथी गवाल आदि ने कहा है कि निर्वाचक महकमे के निर्णय से बड़ी आबादी को मताधिकार के अधिकार से वंचित रहना पड़ेगा। प्रतिनिधियों ने सोमवार को यह मामला उपजिलाधिकारी के सामने रखा और मांग की कि उन्हें पूर्ववत दोनों स्थानों पर मतदान की सुविधा दी जाए। उपजिलाधिकारी एके शुक्ला ने कहा कि इस मामले को निर्वाचन अधिकारी के सामने रखा जाएगा।
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ये गांव होंगे प्रभावित
दारमा वैली
1. सेला
2. नागलिंग
3. बालिंग
4. गो
5. बौन
6. दांतू
7. दुग्तू
8.तिदांग
9. फिलम
10.दर
11. मार्छा
12. सीपू
13. विदांग
व्यास वैली
1. बूंदी
2. गुंजी
3. गब्र्याग
4. कुटी
5. नपल्चू
6. नावी
7. रौंककांग