पिथौरागढ़ जिले में तीन कार्मिक चला रहे मत्स्य विकास की 27 योजनाएं
पिथौरागढ़ जिले में मत्स्य विकास विभाग के मात्र तीन कर्मचारी 27 योजनाओं का संचालन कर रहे हैं।
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : पहाड़ में मत्स्य पालन के जरिये रोजगार सृजन और काश्तकारों की आमदनी दोगुनी करने की मंशा पर खुद सरकार की उदासीनता भारी पड़ रही है। केंद्र से लेकर जिला स्तर की 27 योजनाओं के संचालन का जिम्मा तीन कर्मचारियों पर है। फील्ड स्तर पर मात्र दो ही कार्मिक विभाग के पास हैं।
सीमांत जिला पिथौरागढ़ के पास प्रचुर जल संसाधन हैं। मत्स्य पालन की अपार संभावनाओं को देखते हुए केंद्र, राज्य और जिला स्तर से कुल 27 योजनाएं मत्स्य विकास के लिए चलरही हैं, जिनके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। जिले का डुंगरी गांव मत्स्य पालन का माडल विलेज बन चुका है, लेकिन विभाग में कर्मचारियों की कमी मत्स्य विकास में रोड़े अटका रही है।
विभाग में अपर निदेशक का पद स्वीकृत है, जो खाली पड़ा है। पड़ोसी जिले बागेश्वर के अधिकारी यह दायित्व देख रहे हैं। इस समस्या के चलते समय पर बजट आहरण आदि में दिक्कत आ रही है। ज्येष्ठ मत्स्य निरीक्षक तैनात हैं, लेकिन विकास खंडों के लिए तैनात मत्स्य निरीक्षक के चार पदों में से तीन खाली पड़े हैं। जिले में मात्र एक मत्स्य निरीक्षक तैनात हैं। ज्येष्ठ मत्स्य निरीक्षक और मत्स्य निरीक्षक को फील्ड विजिट के साथ ही आफिस के भी तमाम दायित्व संभालने पड़ रहे हैं। सबसे निचले स्तर पर काम करने वाले मत्स्य विकास अधिकारी के पदों को उत्तराखंड में खत्म कर दिया गया है। जबकि उप्र में आज भी इन पदों पर भर्ती हो रही है। फील्ड स्टाफ की कमी के चलते मत्स्य पालकों के प्रशिक्षण, तालाब आदि बनाने के तकनीकी कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
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मत्स्य पालन की प्रमुख योजनाएं
1.प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
2. राष्ट्रीय कृषि मत्स्य विकास योजना
3.स्पेशल कंपोनेंट प्लान योजना
4. ट्राइबल सब प्लान योजना
5. बार्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम
6. मुख्यमंत्री बार्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम
7. आदर्श तालाब निर्माण योजना
8. जिला योजना
9. जलाशय विकास एवं उत्पादन वृद्धि योजना
10. समन्वित विकास योजना
11. राज्य मत्स्य विकास योजना
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मत्स्य पालकों को मोटरसाइकिल देने की भी व्यवस्था पिथौरागढ़ : प्रधानमंत्री मत्स्य विकास योजना के तहत अब जिले के मत्स्य पालकों को आइस बाक्स के साथ मोटरसाइकिल उपलब्ध कराई जाएगी। ताकि वे आसपास के बाजारों में अपना उत्पाद बेच सकें। सामान्य जाति के मत्स्य पालकों को 40 प्रतिशत, महिला, एससी, एसटी वर्ग के पालकों को 60 प्रतिशत अनुदान पर मोटरसाइकिल दी जाएंगी।
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जिले में मत्स्य उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। हर वर्ष आठ से नौ टन मछली जिले में उत्पादित हो रही है। बाजार की भी समस्या नहीं है। उत्पादकों को अभी लाभ कम मिल रहा है, आने वाले वर्षो में लाभ में बढ़ोतरी होगी। स्टाफ की कमी दूर करने के लिए शासन को पत्र भेजा है।
- डा. रमेश चलाल, ज्येष्ठ मत्स्य निरीक्षक, पिथौरागढ़