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17 अगस्त की रात कैलास यात्रियों सहित 205 लोग बने थे काल का ग्रास

संवाद सहयोगी पिथौरागढ़ मालपा में हुए हादसे को आज 21 वर्ष पूरे हो गए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Aug 2019 10:54 PM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 06:27 AM (IST)
17 अगस्त की रात कैलास यात्रियों सहित 205 लोग बने थे काल का ग्रास
17 अगस्त की रात कैलास यात्रियों सहित 205 लोग बने थे काल का ग्रास

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: मालपा में हुए हादसे को आज 21 वर्ष पूरे हो गए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरने वाले इस हादसे में कैलास मानसरोवर यात्रियों सहित 205 लोग मौत का शिकार हो गए थे। पिछले एक 21 वर्षों में मालपा दो बार उजड़ा और फिर बस गया।

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17 अगस्त 1998 की रात कैलास मानसरोवर यात्रियों का 12 वां दल कैलास दर्शन को जा रहा था। तब मालपा कैलास यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव था। छोटे-छोटे कई ढाबे रात भर चलते रहते थे और वातावरण गुंजायमान रहता था। 12 वें दल में देश की ख्याति प्राप्त प्रख्यात नृत्यांगना प्रोतिमा बेदी (सिने कलाकार कबीर बेदी की पत्नी और पूजा बेदी की मां) भी इस दल में शामिल थी। भोजन के बाद भगवान शिव पर आधारित उनके नृत्य का कार्यक्रम तय हुआ था। इसे देखने के लिए दल में शामिल सभी 60 कैलास मानवरोवर यात्रियों के साथ ही स्थानीय लोग, सीमा सड़क संगठन के कर्मचारी मौजूद थे। रात्रि 12 बजे नृत्य के दौरान ही जिस चोटी की जड़ पर मालपा बसा था वह ढह गई। पूरा पड़ाव भारी मलबे में दफन हो गया। इस हादसे में दल के साथ जा रहे चिकित्सक डॉ. विनोद गड़कोटी सुरक्षित बच गए। वे नृत्य कार्यक्रम में शामिल नहीं थे, बल्कि कुछ दूरी पर लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में रू के हुए थे। उन्हीं के जरिए इस हादसे की खबर मिली। पैदल मार्ग ध्वस्त हो गया। पैदल पहुंचना संभव नहीं था। एअरफोर्स की मदद से खोज अभियान चलाया गया। सेना, आइटीबीपी स्थानीय लोगों की मदद से एक माह तक चले अभियान में कुछ शव बरामद हुए और अधिकांश का कुछ पता नहीं लग सका। इस हादसे ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी। देश और दुनिया भर के मीडिया कर्मी इसकी कवरेज के लिए धारचूला तक पहुंचे। इस हादसे के बाद मालपा पड़ाव को खत्म कर दिया गया। यात्रियों को गाला पड़ाव से सीधे बूंदी ले जाया जाने लगा। कई वर्षो तक मालपा वीरान रहा। लेकिन स्थानीय लोगों की जद्दोजहद से इस पड़ाव फिर रौकन लौट आई। होटल खुल गए। आवागमन करने वाले लोग यहां रात बिताने लगे, लेकिन वर्ष 2013 में फिर इस पड़ाव ने बड़ी आपदा झेली। भूस्खलन से दर्जनों स्थानीय लोग फिर हादसे का शिकार हो गए। मालपा फिर उजड़ गया। स्थानीय लोगों ने हिम्मत नहीं हारी। 2015 में मालपा एक बार फिर आपदा हो गया। स्थानीय लोगों का मानना है उनका जीवन चुनौतियां भरा है पर वे प्राकृतिक घटनाओं से हार मानने वाले नहीं हैं। मालपा को कभी उजड़ने नहीं दिया जाएगा। उनकी आने वाली पीढि़यां इसे हमेशा आबाद रखेंगी। ========= मृतकों की स्मृति में हुआ पौधरोपण पिथौरागढ़: मालपा हादसे का शिकार हुए लोगों की स्मृति में कुमाऊं मंडल विकास निगम कर्मियों ने कैलास मानसरोवर वाटिका में पौधरोपण किया। साहसिक पर्यटन प्रबंधक दिनेश गुरुरानी की अगुवाई में पौध लगाए गए। इस अवसर पर मौजूद लोगों को प्रबंधक गुरुरानी ने हादसे की जानकारी देते हुए बताया कि उस वक्त वे मालपा से एक पड़ाव पीछे गाला में तैनात थे। 12 वें दल के यात्रियों ने स्वतंत्रता दिवस उन्हीं के पड़ाव में मनाया था। आगे रवाना होते वक्त यात्रियों ने फिर मिलने का वादा किया था, लेकिन यह वादा पूरा नहीं हुआ।


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