Move to Jagran APP

ऑलवेदर रोड से 14 प्राकृतिक जल स्रोत मलबे में दफन

संवाद सहयोगी पिथौरागढ़ ऑलवेदर रोड निर्माण के चलते ग्यारहदेवी से घाट के बीच 14 प्राकृतिक

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Mar 2019 10:39 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 10:39 PM (IST)
ऑलवेदर रोड से 14 प्राकृतिक जल स्रोत मलबे में दफन
ऑलवेदर रोड से 14 प्राकृतिक जल स्रोत मलबे में दफन

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: ऑलवेदर रोड निर्माण के चलते ग्यारहदेवी से घाट के बीच 14 प्राकृतिक जलस्रोत मलबे में दफन हो गए हैं। हाईवे पर आवागमन करने वाले लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने वाले इन स्रोतों की जल संग्रहण करने में महत्वपूर्ण भूमिका थी। निर्माण एजेंसियों ने स्रोतों को बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। पर्यावरणविद् भविष्य में इसके दुष्परिणाम सामने आने की आशंका जता रहे हैं।

loksabha election banner

ग्यारहदेवी से 20 किमी. दूर घाट तक करीब 14 प्राकृतिक जलस्रोत थे। ऊंची चोटियों से बहकर आने वाले साफ जल का उपयोग न केवल आसपास के ग्रामीण बल्कि पिथौरागढ़ से टनकपुर, हल्द्वानी के बीच आवागमन करने वाले यात्री भी करते थे। पिछले एक वर्ष से घाट से धमौड़ तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। इसके लिए सड़क की चौड़ाई दोगुनी की जा रही है। सड़क को चौड़ा करने के लिए काटी गई चट्टानों के साथ ही प्राकृतिक जल स्रोत भी मलबे में दफन हो गए हैं। इन स्रोतों को बचाने के लिए कोई योजना चौड़ीकरण से पहले नहीं बनाई गई। स्रोतों के मलबे में दफन हो जाने से न केवल गांवों के लोगों को बल्कि यात्रियों को भी पानी के लिए परेशान होना पड़ेगा।

बता दें ये स्रोत घाट वैली में पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। स्रोतों का पानी जहां पेड़ पौधों को जल उपलब्ध कराता था वहीं घाटी का तापमान सही बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण था। स्रोतों के मलबे में दब जाने से भविष्य में इस घाटी क्षेत्र का तापमान बढ़ेगा, जिससे जंगलों में लगने वाली आग की आशंका गहराएगी।

========== घाट वैली के प्राकृतिक जल स्रोत महत्वपूर्ण हैं। ये क्षेत्र का जल संग्रहण क्षेत्र विकसित कर रहे थे और घाटी का तापमान नियंत्रित करने में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण थी। स्रोत मलबे में दफन हो जाने का सीधा असर इस क्षेत्र के पर्यावरण पर पड़ेगा।

-धीरेंद्र जोशी, भू-वैज्ञानिक

-------------- क्षेत्र के लोगों ने सड़क चौड़ीकरण से पहले इन स्रोतों को बचाने के लिए योजना तैयार करने की मांग उठाई गई थी, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। भविष्य में क्षेत्र के लोगों को ही इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। सड़क चौड़ीकरण का काम पूरा हो जाने के बाद स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास करने होंगे।

-राजेंद्र भट्ट, अध्यक्ष ग्रामीण संघर्ष समिति, गुरना

=============

:::::: इनसेट

मुख्य स्रोत जो प्रभावित हुए = सिद्धेश्वर धारा

= जामिरखेत

= सेरीकांडा

= सिलबानी

= मटेला

= सिरमुड़ा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.