लोनिवि ने उजाड़े स्त्रोत, पानी को तरसे ग्रामीण
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: सड़कों का विकास का पर्याय कहा जाए, लेकिन सड़क निर्माण के दौरान बरती गई लाप
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: सड़कों का विकास का पर्याय कहा जाए, लेकिन सड़क निर्माण के दौरान बरती गई लापरवाही विनाश को भी आमंत्रण देती है। कोट ब्लॉक के अंतर्गत बलमना गांव 2015 से पूर्व पानी से पूरी तरह सरसब्ज गांव था। गांव के आसपास तीन प्राकृतिक पेयजल स्त्रोत थे, जो सड़क निर्माण के दौरान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। आज स्थिति यह है कि प्राकृतिक स्त्रोतों के भरोसे रहने वाले ग्रामीण पिछले तीन वर्षों से गांव में दो हैंडपंप लगाने के लिए मंत्री से लेकर संतरी तक की चौखटों के चक्कर काटने में जुटे हुए हैं।
जनपद पौड़ी के अंतर्गत कोट ब्लाक का ग्राम बलमना। ढाई सौ ग्रामीणों की आबादी वाले इस गांव में वर्ष 2015 से पूर्व सब कुछ सामान्य था। गांव के आसपास तीन प्राकृतिक जल स्त्रोत थे, जिनमें पर्याप्त जल हुआ करता था व इस जल का उपयोग सिचाई के साथ ही पीने के लिए भी होता था। गांव में बेहतर खेती भी थी, लेकिन 2015 में जैसे ही लोक निर्माण विभाग ने गांव को जमलाखाल-देवप्रयाग मोटर मार्ग से जोड़ा, गांव के हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते चले गए। सड़क निर्माण से जहां गांव के तीनों पेयजल स्त्रोत नष्ट हो गए, वहीं ग्रामीणों के खेत भी सड़क निर्माण की भेंट चढ़ गए। हैरानी की बात तो यह है कि गांव तक सड़क पहुंचे चार वर्ष बीत गए हैं, लेकिन ग्रामीणों को आज तक उन खेतों का मुआवजा नहीं मिला है, जो सड़क निर्माण की भेंट चढ़े। सड़क निर्माण के दौरान तीनों पेयजल स्त्रोतों के नष्ट होने से गांव में पेयजल किल्लत शुरू हो गई वर्तमान में हालात यह हैं कि ग्रामीण शासन से गांव में दो हैंडपंप लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं। उधर कोट ब्लॉक के बलमना गांव में करीब 15 वर्ष पूर्व एक पटवारी चौकी का निर्माण किया गया था, लेकिन आज भी इस पटवारी चौकी में ताले लटके हुए हैं। बलमना गांव में पेयजल किल्लत के साथ ही सड़क निर्माण के दौरान काटे गए खेतों का मुआवजा न दिए जाने को लेकर ग्रामीणों की ओर से मुख्यमंत्री शिकायत प्रकोष्ठ 'समाधान' में शिकायत दर्ज करवाई गई, लेकिन आज तक ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया। ग्राम प्रधान ललित सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री शिकायत प्रकोष्ठ में शिकायत के बाद लोनिवि ने क्षतिग्रस्त हुए एक पेयजल स्त्रोत की मरम्मत तो कर दी, लेकिन दो स्त्रोत आज भी क्षतिग्रस्त हैं। इस बारे में जिलाधिकारी धीराज सिंह गब्र्याल का कहना है कि ग्रामीणों से जैसे ही कोई शिकायत मिलेगी, तत्काल शिकायत का निराकरण किया जाएगा। समाधान पोर्टल पर की गई शिकायत संबंधित विभागों को भेजी गई होगा। किस कारण कार्रवाई नहीं हो पाई, इसकी जानकारी ली जाएगी।