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फायर सीजन के दरम्यान जंगलों पर ड्रोन से रखी जाएगी नजर

71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड के जंगल इस मर्तबा फायर सीजन के दरम्यान काफी हद तक महफूज रहेंगे। अग्निकाल में ड्रोन से भी जंगलों की निगहबानी होगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 01:02 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 01:02 PM (IST)
फायर सीजन के दरम्यान जंगलों पर ड्रोन से रखी जाएगी नजर
फायर सीजन के दरम्यान जंगलों पर ड्रोन से रखी जाएगी नजर

जागरण संवाददाता, पौड़ी। 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड के जंगल इस मर्तबा फायर सीजन के दरम्यान काफी हद तक महफूज रहेंगे। अग्निकाल में ड्रोन से भी जंगलों की निगहबानी होगी। इससे यह तो पता चलेगा कि आग कहां लगी है। ये भी जानकारी मिल जाएगी कि आग किसने लगाई है। ड्रोन मुहैया कराने में आपदा प्रबंधन विभाग मदद करेगा। गढ़वाल मंडल के मुख्यालय पौड़ी से सटे जंगलों में भी फायर सीजन के दौरान ड्रोन से निगरानी के लिए आपदा प्रबंधन विभाग और जिला प्रशासन ने कार्ययोजना तैयार कर ली है। ऐसी पहल गढ़वाल के अन्य क्षेत्रों में भी अमल में लाई जाएगी।

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फायर सीजन के दौरान हर साल ही 15 फरवरी से मानसून आने तक बड़े पैमाने पर वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है। इसके बावजूद भले ही जंगलों की आग को अभी आपदा में शामिल न किया गया हो, लेकिन आग पर नियंत्रण और आग लगाने वालों पर नकेल कसने के लिए आपदा प्रबंधन महकमा जरूर आगे आया है। इसी कड़ी में फायर सीजन के दौरान ड्रोन के जरिये जंगलों की निगहबानी की जाएगी।

गढ़वाल मंडल में भी इसके लिए कवायद प्रारंभ कर दी गई है। राज्य के सबसे बड़े जिलों में शुमार पौड़ी में भी प्रतिवर्ष जंगल सुलगते हैं। कुछ आग मानवीय भूल से लगती है तो कुछ मानव जनित होती हैं। विषम भूगोल होने के कारण कई मर्तबा तो आग की सही लोकेशन व घटना की त्वरित जानकारी तक नहीं मिल पाती। ऐसे में ड्रोन से निगरानी की पहल से वन महकमे को खासा संबल मिलेगा।

जिला आपदा परिचालन केंद्र फायर सीजन में जंगल की आग पर निगरानी के लिए ड्रोन मुहैया कराएगा। इसे आपदा कंट्रोल रूम से संचालित किया जाएगा। पौड़ी के अपर जिलाधिकारी रामजी शरण शर्मा ने बताया कि आपदा प्रबंधन के दौरान ड्रोन कैमरा सटीक जानकारी देने के लिहाज से काफी मददगार साबित होगा। इसका पूर्व में विशेषज्ञों द्वारा सफल ट्रायल भी किया गया है। उन्होंने कहा कि आगामी फायर सीजन में इसे जंगलों में नजर रखने के लिए भी प्रयोग में लाया जाएगा। इस दिशा में अन्य औपचरिकताएं पूरी की जा रही हैं।


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